कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन करने का एलान के बाद ट्रेन, बस के साथ हवाई सेवायें तक बंद हैं| वायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन जरुरी है मगर सरकार से यह पूछी जानी चाहिए कि क्या उनकी जिम्मेदारी सिर्फ लॉकडाउन करने तक ही सीमित है?जैसा की प्रधानमंत्री ने खुद कहा कि इस लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब लोग होंगे| खासकर वे लोग जो दूसरे राज्यों में देहारी मजदूर हैं| लॉकडाउन होने के साथ ही बिहार के देहारी मजदूरों की मुश्किलें शुरू हो गयी है| वे रातों-रात बेरोजगार हो गये हैं, रहने के लिए घर नहीं है, रेंट देने और खाने के लिए पैसे की किल्लत हो गयी और न ही घर लौटने का कोई साधन है| बंगाल से ट्रक में बिहार लौटे मजदूरों ने बताया की फैक्ट्री बंद कर दी गयी है, उनको मर-पिट कर वहाँ से भगा दिया गया|
यही नहीं, जब कोई मदद नहीं मिली तो बिहार के 14 मजदूर राजस्थान से पैदल ही निकल पड़े हैं। बिहार में अपने घर जा रहे ये मजदूर तीन दिन पैदल चलकर जयपुर से आगरा तक पहुंचे हैं। अभी भी इन्हें लगभग 1000 किलोमीटर का रास्ता तय करना है। भूख-प्यास से इन सभी की हालत खराब है।
लॉकडाउन के बाद जयपुर में कोल्ड स्टोरेज में काम करने वाले 14 मजदूर वहां से पैदल बिहार अपने घर जाने के लिए निकल पड़े हैं। कई दिक्कतों का सामना करते हुए मंगलवार को ये आगरा पहुंचे। इनमें से एक बिहार के सिफॉल निवासी सुधीर कुमार ने बताया कि एक महीने पहले अपने 14 साथियों के साथ जयपुर के कोल्ड स्टोरेज में काम करने के लिए गया था। अभी 25 दिन ही हो पाए थे कि सरकार के आदेश पर कोल्ड स्टोरेज को बंद कर दिया गया। इसके बाद कोल्ड स्टोरेज मालिक ने दो हजार रुपये देकर उन्हें घर भेज दिया। मगर जयपुर में कर्फ्यू लगा हुआ है। इस कारण कोई वाहन नहीं चल रहा।
तीन दिन में जयपुर से आगरा पहुंचे
ये सभी 14 लोग अपने साथियों के साथ पैदल ही घर के लिए निकल गए हैं। 21 मार्च को ये सभी जयपुर से निकले थे और मंगलवार को आगरा पहुंच पाए हैं। रास्ते में खाने-पीने का सामान न मिल पाने की वजह से भूखे पेट चल रहे हैं। रास्ते में जो मिल जाता है, उसी से पेट भर लेते हैं। उन्हें करीब 1000 किलोमीटर दूर अपने जिले में जाना है। इस ग्रुप में प्रभास, संजीत, श्याम, विनोद, सुग्रीव, पवन, गुलशन, रंजीत, दीपनारायण, भूपेंद्र, मनोज, अर्जुन और सुधीर कुमार आदि चल रहे हैं। रास्ते में पुलिस रोकती है तो वे पैदल अपने घर जाने के लिए कह देते हैं।
ये बेसहारा गरीब लोग इतनी दूर पैदल घरकोई शौक से नहीं जा रहे, यह उनकी मज़बूरी है| लॉकडाउन जरुरी है मगर साथ में उन लोगों की मदद भी जरुरी है| इन लोगों के लिए अगर जल्द कुछ नहीं किया गया तो कोरोना वायरस से बचे या न बचे मगर गरीबी-भूख से तो जरुर मर जायेंगे| जहाँ भी देहारी मजदूर हैं, उन्हें रहने -खाने की व्यवस्था तत्काल रूप से करनी चाहिए|
http://www.aapnabihar.com से साभार
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