खतरे में है मंत्री अशोक चौधरी और नीरज कुमार का पोलिटिकल फ्यूचर
मई में परिषद सभापति हारुण रसीद होंगे पदमुक्त
मंत्री अशोक चौधरी और नीरज कुमार का भविष्य भी अधर में
————– वीरेंद्र यादव ——————-
इस वर्ष मई का महीना बिहार विधान परिषद के लिए महत्वपूर्ण होगा। मई महीने में परिषद के 27 सदस्यों का टर्म पूरा हो रहा है। जिन सदस्यों का टर्म पूरा हो रहा है, उसमें कार्यकारी सभापति हारुण रसीद भी हैं। इसके अलावा भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी और सूचना व जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार का भी परिषद सदस्य के रूप वर्तमान कार्यकाल मई में पूरा हो रहा है। कार्यकाल समाप्त होने की प्रक्रिया में सबसे ज्यादा नुकसान कार्यकारी सभापति हारुण रसीद को होने वाला है। जिस दिन (6 मई को) उनका कार्यकाल समाप्त होगा, उस दिन वे कार्यकारी सभापति (उपसभापति) के पद से मुक्त हो जाएंगे। यदि वे फिर विधान परिषद सदस्य चुन लिये जाते हैं तो भी यह पद नियमत: नहीं मिलेगा। उपसभापति के लिए फिर चुनाव होगा और मुख्यमंत्री जिसे चाहेंगे, उन्हें मौका मिलेगा।
मंत्री अशोक चौधरी और नीरज कुमार का कार्यकाल भी 6 मई को समाप्त हो रहा है। अशोक चौधरी विधान सभा कोटे से परिषद सदस्य हैं, जबकि नीरज कुमार पटना स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से चुने गये हैं। 6 मई को कार्यकाल समाप्त होने के बाद अशोक चौधरी और नीरज कुमार के मंत्री बने रहने में कोई तकनीकी अड़चन नहीं है। विधान परिषद में नहीं लौटने की स्थिति में भी उनके मंत्री पद पर कोई खतरा नहीं है। वे 6 नवंबर तक मंत्री बने रह सकते हैं। संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, बिना किसी सदन के सदस्य के भी कोई व्यक्ति छह महीने तक मंत्री बने रह सकते हैं।
मार्च-अप्रैल में विधान परिषद की 17 सीटों के लिए चुनाव होगा। चार स्नातक और चार शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लिए चुनाव होना है। इसके अलावा विधान सभा कोटे से 9 सदस्यों की चुनाव होगा। इसके लिए बकायदा नामांकन से लेकर नाम वापसी और वोटिंग की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इन 17 सीटों के लिए 6 मई पहले प्रक्रिया पूरी कर लेनी होगी। नीरज कुमार पटना स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में 1 लाख 11 हजार से अधिक वोटर हैं। जबकि अशोक चौधरी विधान सभा कोटे से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि उनका चुनाव लड़ना या नहीं लड़ना, सीएम नीतीश कुमार की अनुकंपा पर निर्भर करता है। माना जा रहा है कि जदयू उम्मीदवार के रूप में उनकी वापसी संभव है। क्योंकि कांग्रेस से जदयू में आने के पहले कोई सौदा तय हुआ ही होगा। वह सौदा मंत्री पद से लेकर पुनर्वापसी तक संभव है। इस संबंध में अशोक चौधरी के विश्वस्त कहते हैं कि जब तक उम्मीदवार के रूप में नाम की घोषणा नहीं होती है, तब तक सब कुछ अनिश्चित है।
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