Saturday, December 28th, 2019
बिहार की हिडेन हिस्ट्री : आजीवक-मक्खलि गोसाल
आजीवक-मक्खलि गोसाल पुष्यमित्र के facebook से ईसा मसीह के चरनी में जन्म लेने से अमूमन 520-30 साल पहले मगध में मक्खलि गोसाल ने अपनी गुहाल में जन्म लिया था। बाद में वह आजीवक सम्प्रदाय का सबसे बड़ा दार्शनिक साबित हुआ। उसके द्वारा स्थापित यह सम्प्रदाय उसकी मृत्यु 15-16 सौ साल बाद तक चलता रहा। यह उस मगध की धरती का सबसे बड़ा संत था, जो एक जमाने में गौतम बुद्ध और वर्धमान महावीर की ज्ञान की तलाश की भूमि रही है। वह मगध जो व्रात्यों और वेद, यज्ञ विरोधी निरीश्वरवादीRead More
नीम के पौधों की हो मजबूत घेराबंदी
बिहार सरकार ने यह निर्णय किया है कि वह शहरों में सड़कों के किनारे पीपल,नीम, कदम्ब और जामुन के पौधे लगाएगी। यह बहुत अच्छी बात है। पर्यावरण संतुलन के लिए पीपल और नीम का तो खास महत्व है। पर, नीम को लेकर कुछ अधिक ही सावधानी बरतने की जरूरत पड़ेगी। उसके पौधों की मजबूत और ऊंची घेराबंदी होनी चाहिए। एक बार पटना के एक मुहलले में नीम के पौधे लगाए गए थे। पर, वे जैसे ही थोड़ा बड़ा हुए,उन पर अत्याचार शुरू हो गए। कोई दतवन के लिए डाल तोड़नेRead More
बिहार की हिडेन हिस्ट्री : संघमित्ता-संघमित्रा
संघमित्ता-संघमित्रा पुष्यमित्र, फेसबुक से साभार श्रीलंका में दिसंबर महीने के पूर्णिमा की तिथि को एक पर्व मनाया जाता है, उदुवापा पोया. पोया का आशय संभवतः पूर्णिमा से ही है. क्योंकि वहां हर महीने की पूर्णिमा तिथि को कोई न कोई पोया पर्व मनाया जाता है. हर पोया पर्व बौद्ध धर्म से संबंधित है. उदुवापा पोया पर्व जो साल का आखिरी पर्व है, उसे एक और नाम से भी पुकारा जाता है, संघमित्ता डे. संघमित्ता डे यानी संघमित्ता दिवस. संघमित्ता मने संघमित्रा, दुनिया के सर्वकालिक महान राजा में से एक अशोकRead More
बिहार : एक गांव, जहां मांस मछली लेकर प्रवेश वर्जित, खा कर आने पर नहाना भी पडेगा
बिहार के इस शाकाहारी गांव की अजीब है परंपरा, मांसाहार को हाथ भी नहीं लगाते लोग, जानिए नवादा [अमरेंद्र मिश्रा]। नवादा के नारदीगंज प्रखंड की डोहड़ा पंचायत के मोतनाजे गांव के बाशिंदे शाकाहारी हैं। गांव के किसी भी घर में मांस-मछली लेकर प्रवेश करना वर्जित है। यहां सदियों से ये परंपरा कायम है। अब नई पीढ़ी भी पुरखों की व्यवस्था को जिंदा रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। तकरीबन एक हजार की आबादी वाले इस गांव में 70 से 80 घर हैं। यहां पिछड़े तबके के बाशिंदे रहते हैं, लेकिन इनकीRead More
बिहार का वह स्थान जहां अंधे ऋषि को मिली थी रोशनी, रामायण काल में आए थे श्रीराम
बिहार का वह स्थान जहां अंधे ऋषि को मिली थी रोशनी, रामायण काल में आए थे श्रीराम सारण। बिहार के प्राचीनतम शहरों मं शुमार गौतम स्थान रिविलगंज में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा व सरयू नदी के संगम स्थली पर हर साल लगने वाला गोदना-सेमरिया नहान मेला धार्मिक, पौराणिक तथा ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां हजारों की संख्या में लोग सरयू नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं तथा पुण्य के भागी बनते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां विशालRead More