जहानाबाद में एक स्कूल ऐसा, जहां हर साल बढ रही है पढने वालों की संख्या लेकिन पूरा स्कूल एक मास्टर के भरोसे
पढाई का ऐसा हाल, एक शिक्षक के भरोसे 100 छात्राओं की पढाई
हर साल बढती है एडिशन की संख्या, स्कूल में नहीं पूरा हो पाता सारे विषयों का सिलेबस, कोचिंग जाती हैं छात्राएं
हाल-फिलहाल तीन शिक्षकों की सेवानिवृति ने बढ़ा दी और भी परेशानी
जहानाबाद, मखदुमपुर। मखदुमपुर स्थित प्रोजेक्ट कन्या इंटर विद्यालय में शिक्षक और छात्र का अनुपात बढ़कर 1:100 से अधिक हो गया है। स्कूल में नौवीं से लेकर 12 वीं कक्षा तक फिलहाल 1700 से अधिक छात्राएं नामांकित हैं। लेकिन, शिक्षक महज 17 ही हैं। ऐसे में कई कक्षाएं खाली रह जाती है। छात्राओं की पढ़ाई पर शिक्षकों की कमी का असर पड़ रहा है। नौवीं और दसवीं में 1200 से अधिक छात्राएं नामांकित हैं। वहीं इंटर में 550 छात्राओं को कला और विज्ञान संकाय में प्रवेश दिया गया है। प्रखंड के एक मात्र प्रोजेक्ट कन्या इंटर विद्यालय में छात्राएं प्रतिदिन क्लास करने पहुंचती हैं। लेकिन, जब उनकी घंटी खाली रह जाती है तो वे निराश हो उठती हैं। स्कूल में इंटर वर्ग में गणित, भौतिकी और अंग्रेजी जैसे महत्वपूर्ण विषय के एक भी शिक्षक नहीं हैं। प्रयोगशाला सहायक के सारे पद रिक्त पड़े हुए हैं। वहीं माध्यमिक स्तर पर अंग्रेजी, हिन्दी और उर्दू विषय पढ़ाने वाला शिक्षक स्कूल में नहीं हैं। नतीजतन छात्राओं को कोचिंग का सहारा लेना पड़ रहा है। नौवीं कक्षा की छात्रा प्रिया ने कहा कि अंग्रेजी विषय काफी महत्वपूर्ण है और फिलहाल इस विषय में स्कूल में एक भी शिक्षक नहीं हैं। वे कहती हैं कि दो सेक्शन की छात्राओं को एक साथ बैठाकर क्लास लिया जाता है। समस्या तब होती है जब दोनों सेक्शन की छात्राएं शिक्षक से अलग-अलग चैप्टर पढ़ाने की मांग करने लगती हैं। स्कूल में कम्प्यूटर तो उपलब्ध है, लेकिन कम्प्यूटर सिखाने वाले शिक्षक ही नहीं हैं। शिक्षक के अभाव में सारे कम्प्यूटर एक कमरे में बंद पड़े रहते हैं।
हर साल बढ जाता है एडमिशन
तीन दशक पहले स्थापित प्रोजेक्ट इंटर विद्यालय में छात्राओं की कमी कभी नहीं रही। छात्राओं की शिक्षा के प्रति बढ़े रुझान के कारण उनके नामांकन में साल दर साल वृद्धि ही होती चली गई। लेकिन, शिक्षक लगातार घटते जा रहे हैं। स्थानीय बाजार के सुरेश प्रसाद कहते हैं कि विद्यालय में सात-आठ किलोमीटर दूर से बच्चियां साइकिल चलाकर पहुंचती हैं। वे कहते हैं कि चार साल पहले तक पढ़ाई की व्यवस्था ठीक-ठाक थी। लेकिन, इसमें लगातार गिरावट हो रही है। वहीं प्रधानाध्यापक उद्रेश शर्मा भी स्वीकारते हैं कि एक शिक्षक को अतिरिक्त क्लास लेना पड़ रहा है। शिक्षकों की कमी से परेशानी हो रही है।
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