अयोध्या : संतों ने 2 तारीखें सुझाईं, संघ भी सहमत,राम मंदिर की नींव हिंदू नववर्ष या रामनवमी पर
विहिप नेताओं ने कहा- संतों द्वारा सुझाई गई तारीखों से बेहतर और कुछ नहीं है
नई दिल्ली (संतोष कुमार). अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर के निर्माण को लेकर संत समाज ने दो तारीखें सुझाई हैं। अखिल भारतीय संत समिति ने सर्वसम्मति से कहा कि मंदिर की नींव हिंदू नववर्ष (नव संवत्सर) या भगवान राम के जन्मदिन (रामनवमी) को ही रखी जाए। पंचांग के अनुसार, हिंदू नववर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है, जो 2020 में 25 मार्च से शुरू होगा। रामनवमी 2 अप्रैल को है। इन दोनों तारीखों को लेकर संघ भी सहमत है।
संघ के सूत्रों ने कहा कि संत समाज की सहमति से ही आगे की रूपरेखा तय की जाएगी। पहले मंदिर निर्माण का जिम्मा विहिप के पास था। लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने में ट्रस्ट बनाने को कहा है। इसलिए संत समाज और संघ की भूमिका अहम हो गई है। हालांकि, विहिप नेताओं का भी कहना है कि राम मंदिर की नींव रखने के लिए संतों द्वारा सुझाई गई दो तारीखों से बेहतर कोई और तारीख नहीं हो सकती। अब सरकार पर भी दबाव रहेगा कि वह जल्द ही ट्रस्ट बनाए और इसमें संतों के प्रमुख वर्गों को शामिल करे।
एनएसए अजीत डोभाल ने रविवार को धर्मगुरुओं के साथ चार घंटे बैठक की। बैठक में धर्मगुरुओं ने शांति बनाए रखने की वचनबद्धता दोहराई। बैठक में बाबा रामदेव, स्वामी परमात्मानंद, मौलाना कल्बे जवाद, स्वामी अवधेशानंद गिरि आदि शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या की विवादित जमीन पर ट्रस्ट के जरिए मंदिर बनाने और मस्जिद के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था।
उत्तर प्रदेश में रविवार को 4223 जगह ईद-ए-मिलादुनबी (बारावफात) के जुलूस निकले। अयोध्या में कई जगहों पर हिंदुओं ने फूलों से जुलूस का स्वागत किया। इसी तरह मुस्लिम नेताओं ने राम जन्मभूमि न्यास पहुंचकर रामलला को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए बधाई दी। इमाम शमसुल कमर कादरी ने कहा, ‘सौहार्द बनाए रखना सबकी जिम्मेदारी है। इसलिए हमने कोर्ट के फैसले के दिन शनिवार को बारावफात के जुलूस नहीं निकाले।’ (भास्कर से साभार)
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