स्वामी चिन्मयानंद पर ‘संत समाज’ और न्यापालिका मौन क्यों
जयशंकर गुप्त/नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता, केंद्र सरकार में राज् मंत्री रहे स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध यौन शोषण के मामले में उनकी गिरफ्तारी की बात छोड़िए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले की जांच कर रही पुलिस, एसआइटी उनके खिलाफ एफआईआर यानी प्रथम सूचना रिपोर्ट तक दायर क्यों नहीं कर पा रही जबकि खुद को उनके लगातार यौन शोषण का शिकार बतानेवाली छात्रा के बयान, पुलिस, एसआइटी और अदालत के सामने भी दर्ज हो चुके हैं। सबूत के तौर पर वीडियो फुटेज जमा कराए जा चुके हैं! इस मामले में भाजपा नेतृत्व, हमारा ‘संत समाज’ और हमारी न्यापालिका से कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं आ रही। और हमारा मीडिया, जिससे हम भी जुड़े हैं, अगर भारत-पाकिस्तान, कश्मीर, हिंदू-मुसलमान मंदिर-मस्जिद और गाय-गोबर जैसे मुद्दों से फुरसत मिले तब न इस बात की चर्चा करे।
और एक नागरिक के रूप में हम और आप! हमारी संवेदनाएं अगर पूरी तरह मर नहीं गई हैं तो भी इस कदर सुन्न होती जा रही हैं कि अब एक दलित युवक का जिंदा जला दिया जाना, धर्म (चाहे वह कोई भी धर्म हो) का चोला धारण किए वहशी भेड़ियों के द्वारा मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार, लगातार यौन शोषण, कुछ मामलों में उन्हें जान से मार डालने और अफवाहनुमा सूचनाओं के आधार पर जमा भीड़ के द्वारा किसी को पीट पीटकर मार डालने की घटनाएं भी हमारे लिए खास चिंता का विषय नहीं बन पा रहीं। हमारी संवेदनाओं को झकझोर नहीं रहीं! ऐसे में शाहजहांपुर की उस छात्रा को न्याय कैसे मिल पाएगा जिसने अपनी जान और इज्जत को भी दांव पर लगाकर एक बड़े नेता, बड़े ‘संत’, मठाधीश के खिलाफ मय सबूत बोलने की हिम्मत जुटाई है। ऐसा ही वर्षों पूर्व चिन्मयानंद की एक शिष्या चिदर्पिता के साथ भी हुआ था। उसने भी स्वामी जी पर बलात्कार और लगातार यौन शोषण के आरोप लगाए थे। उसका मुकदमा भी कायम हुआ था लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ जी की सरकार आने के बाद संबंधित मुकदमे उठा लिए गये। क्या शाहजहांपुर की छात्रा के कथित यौन शोषण के मामले में भी ऐसा ही कुछ होनेवाला है!
जयशंकर गुप्त
Related News
इसलिए कहा जाता है भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपियर
स्व. भिखारी ठाकुर की जयंती पर विशेष सबसे कठिन जाति अपमाना / ध्रुव गुप्त लोकभाषाRead More
पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल के लिए ‘कार्तिकी छठ’
त्योहारों के देश भारत में कई ऐसे पर्व हैं, जिन्हें कठिन माना जाता है, यहांRead More
Comments are Closed