Tuesday, August 6th, 2019
बस्तर और कश्मीर – इतिहास, तकदीर एक सी, क्या समाधान एक सा?
– राजीव रंजन प्रसाद ——————————- धारा 370 के आपत्तिजनक प्रावधानों के हटाये जाने, जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने तथा परिक्षेत्र में भारतीय संविधान की प्रतिस्थापना के साथ यह आशा बंधती है कि समस्या ने अपने स्थाई समाधान की ओर कदम बढा दिये हैं। कोई संदेह नहीं कि यह असम्भव कार्य था। भारत सरकार ने अत्यधिक योजनाबद्धता, प्रभावशालिता तथा दृढ इच्छाशक्ति से इसे सम्भव बनाया है। अभी आधी लड़ाई जीती गयी है, आधा रास्ता तय किया जाना है। अलगाववादियों की प्रतिक्रिया पर अंकुश लगाना,Read More
मुझे कश्मीर में प्लॉट नहीं, कश्मीरी दोस्त चाहिये
पुष्यमित्र आजकल कभी कभी मन होता है कि हर मुद्दे पर क्यों बोला जाये। अपनी राय जाहिर करते रहना कोई जरूरी है क्या? और क्या लोग मेरी भावनाओं को समझ भी पायेंगे। कहा जाता है कि अगर आसपास ज्यादातर लोग नशे में टुल्ल हो तो बजाय इसके कि लोगों को समझाया जाये, खुद ही एक पैग चढ़ा लेना अधिक समझदारी का काम है। मगर फिर कबीर याद आ जाते हैं। आज जब कश्मीर में फौज की टुकडियां भर कर कश्मीर भंग कर दिया गया और धारा 370 को खत्म करनेRead More
वे कर सकते हैं। उनमें दम है
दिलीप सी मंडल 2011 की जनगणना के मुताबिक़ देश में 50 लाख बेज़ुबान यानी Voiceless लोग हैं। लेकिन उनमें से ज़्यादातर साइन लैंग्वेज या किसी और तरीक़े से अपनी बात दूसरों को समझा पाते हैं। बहुत कम हैं जिनको अपनी बात समझाने के लिए किसी और की मदद की ज़रूरत पड़ती है। साइन लैंग्वेज सिखाने वाले देश में सिर्फ 700 स्कूल हैं। अगर आप बेजुबानों की सचमुच मदद करना चाहते हैं तो उनके बदले ख़ुद मत बोलिए। बल्कि उन्हें कम्युनिकेट करने में मदद कीजिए। उन्हें साइन लैंग्वेज सीखने का मौक़ाRead More