बिहार में बिना पढ़ाई डिग्री का धंधा कर रहे 100 से अधिक कॉलेज
पटना [दीनानाथ साहनी,जागरण डॉटकाम से साभार]। बिहार में 100 से ज्यादा ऐसे कॉलेज हैं, जो बिना पढ़ाई के छात्रों को डिग्री देने का धंधा कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर कॉलेजों की स्थिति यह है कि ये छात्रों का नामांकन पहले लेते हैं और तब राज्य सरकार से संबद्धता प्राप्त करते हैं। आधारभूत संरचना के मानदंडों पर भी ये कॉलेज खरे नहीं उतरते हैं। ऐसे कॉलेजों के कारनामे जान कर आप चौंक जाएंगे।
इस खेल में विश्वविद्यालयों के परीक्षा संकाय के प्रशासनिक अफसर और कर्मचारी भी शामिल होते हैं। ऐसे कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई करने में शिक्षा विभाग भी लाचार है, क्योंकि ज्यादातर कॉलेज राजनेताओं के रिश्तेदारों के हैं। अब राजभवन ऐसे कॉलेजों के खिलाफ एक्शन में आ गया है।
तय मानदंडों पर खरे नहीं उतरते ये कॉलेज
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक समय-समय पर जांच में मगध विश्वविद्यालय (बोधगया) में सर्वाधिक 56 कॉलेज, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (आरा) और बीआर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (मुजफ्फरपुर) में 11-11 कॉलेज, बीएन मंडल विश्वविद्यालय (मधेपुरा) और जय प्रकाश विश्वविद्यालय (छपरा) में आठ-आठ कॉलेज, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, पूर्णिया विश्वविद्यालय एवं मुंगेर विश्वविद्यालय में चार कॉलेज की संबद्धता सरकार के तय मानदंडों पर खरे नहीं हैं। ऐसे कॉलेजों के खिलाफ राजभवन ने जांच करने का आदेश संबंधित कुलपतियों को दिया है।
बिना संबद्धता वाले कॉलेजों पर होगी कार्रवाई
राज्य सरकार से संबद्धता प्राप्त कुल 256 कॉलेज हैं। इसमें से मगध विश्वविद्यालय के अधीन करीब 124 संबद्धता प्राप्त कॉलेज आते हैं, इनमें से 50 फीसद से ज्यादा कॉलेज तय मानदंडों पर खरे नहीं उतरते हैं। फिर भी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ऐसे कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है, क्योंकि ऐसे कॉलेज राजनेताओं के रिश्तेदारों के नाम से संचालित हैं। राजभवन सचिवालय ने मगध विश्वविद्यालय के करीब 100 कॉलेजों के विरुद्ध जांच करने और बिना संबद्धता प्राप्त किए नामांकन लेने वाले कॉलेजों के विरुद्ध कार्रवाई करने का आदेश कुलपति को दिया है।
राजभवन ने सभी कुलपतियों को दिया आदेश राजभवन ने सभी कुलपतियों को यह आदेश दिया है कि उनके विश्वविद्यालय के अधीनस्थ संबद्धता प्राप्त कॉलेजों की जांच कराएं, जो बिना पढ़ाई के छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करते हैं और डिग्री देते हैं। ऐसे कॉलेजों की संबद्धता खत्म करने के लिए शिक्षा विभाग को भी आवश्यक कदम उठाने को कहा गया है। इतना ही नहीं, कॉलेजों को संबद्धता देने संबंधी नियम में बदलाव करते हुए और कड़े प्रावधान करने का सुझाव दिया गया है।
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