चला बुधनमा नीतीश कुमार से भेंट करे
– नवल किशोर कुमार
बिहार में बहारे-बहार है। इंसेफलाइटिस के कारण मरने वाले बच्चों की संख्या कल 119 हो गई। इस खुशी में कल नीतीश कुमार दिल्ली में थे। इ मुआ इंडियन एक्सप्रेस कैसन अखबार है। हमेशा नीतीश कुमार के ऐसन फोटो छापता है कि देख के हंसी आती है। आज जानते हो बुधनमा भाई क्या हुआ है। देश के राजा नरेंद्र मोदी के दरबार में सब लोग हंस रहे थे। नीतीश कुमार गाल फुलाए बैठे थे। मुंह तो ऐसन था जैसे मुंह में बेंग समाएल हो।
क्या नवल भाई, आप तो मेरे अरमान पर पानी फेर देते हैं। यह कोई मतलब है। नीतीश् कुमार बिहार के महाराजा हैं। इसमें आपको कोई शक है क्या। आप खाली उनके बारे में ऐसी बात बताते हैं कि मन खट्टा हो जाता है। अब मउगा रहे चाहे कुच्छो और नीतीश कुमार हमनी के राजा है। आउर हम तो आपसे एही खातिर आज भेंट करे आए हैं कि हम नीतीश कुमार से मिलना चाहते हैं।
अरे वाह। काहे मिलना चाहते हैं नीतीश कुमार से बुधनमा भाई। आप ठहरे पासी जाति के। भूमिहार-ब्राह्मण होते तो और बात होती। आपसे तो मिलवो नहीं करेगा नीतीश कुमार।
धत्त तेरी के। लेकिन उ तो हम सबके मुख्यमंत्री है। फिर हमसे काहे नहीं मिलेगा। आप हमको रास्ता बताइए। कैसे जाएं। पटना जाएला मन छटपटाएल है।
बुधनमा भाई, हम आपकी मदद करेंगे लेकिन झूठ तो बोलेंगे नहीं। देखिए नीतीश कुमार नाम के कुर्मी है, अंदर से तो उ भूमिहार है। इसके कई सबूत हैं। गुप्तेश्वर पांडे जैसन पागल भूमिहार के डीजीपी बना दिया है।
का बात करते हैं नवल भाई। गुप्तेश्वर पांडे पागल कैसे है। आप भी न एकदम ऐसहीं कुछ का कुछ कह देते हैं।
नहीं बुधनमा भाई। गुप्तेश्वर पांडे को एक बार चुनाव लड़ने का मन किया। सो उसने इस्तीफा देकर कांटेस्ट कर लिया और हार गया। बाद में उसको लगा कि इ का बेवकूफी हो गया। फिर उसने एगो अप्लीकेशन लिखा कि उसका दिमाग खराब हो गया था, इसलिए उसने इस्तीफा दिया था। जानते हैं बुधनमा भाई, उसका अप्लीकेशन नीतीश कुमार झट से मान लिये।
खैर छोड़ो। नीतीश कुमार अब भांठ को कुछ बनाए। इससे हमको क्या। लेकिन एगो बात बता दे रहे हैं नीतीश कुमार से मिलना आसाान बात नहीं है। पहले अप्वाइंटमेंट लेवे पड़ता है।
अच्छा। त का अप्वाइंटमेंट सभी को लेना पड़ता है।
हां बुधनमा भाई। यहां तक कि उसके कैबिनेट मंत्री सबके भी पहले गुहार लगाना पड़ता है। तब जाकर होता है नीतीश कुमार का दर्शन। और तुम ठहरे एगो मैंगो मैन।
ए नवल भाई। मैंगो मने आम न? त का हम एकाध पसेही मालदह आम लेके जाएं नीतीश कुमार के पास? आप भी न ऐसन बात करते हैं। उ हमनी के वोट से सीएम बना है। नौकर है हमनी के। अब हम नौकर के यहां सिरनी लेकर जाएं। आप खाली तरीका बताइए कि कैसे मिलेगा इ अप्वाइंटमेंट।
देखो यार बुधनमा, एगो बात तो तुम ठीके बोले कि चाहे सीएम हो या पीएम, सब जनता का नौकर है। तुम्हारा विरोध जायज है। लेकिन नीतीश कुमार ने खुद को अब किले में बंद कर लिया है। पहले जनता दरबार लगाता था। अब वह भी बंद कर दिया है।
नहीं नवल भाई। लोक संवाद करता है आजकल। अखबार में एक दिन खबर पढ़े थे हम। हमहूं जाना चाहते हैं। सुनते हैं कि खूब खिलाता-पिलाता भी है।
अरे वाह। इसका मतलब सीएम के यहां मटन-लिट्टी के भोज खाना है। ऐसा कुछ नहीं होता है। पहले बात सुनो मेरी। लोक संवाद कार्यक्रम एगो नाटक है। जैसे नाटक में सब पहले से तय होता है न, वैसही सब पहले से तय होता है। आउर तुम कैसे जाओगे मिलने। तुमको तो इंटरनेट चलाना भी नहीं आता है। लोक संवाद में वही जा सकता है जो ऑन लाइन सवाल भेजेगा।
अरे बाप रे। फिर क्या होता है नवल भाई?
होता क्या है। मान लो कि तुमको पूछना है कि इंसेफलाइटिस से खाली गरीब-गूरबा के बाल-बच्चा काहे मरता है तब तुम्हारा सवाल हो सकता है कि लिया ही न जाए। हां भूमिहार -ब्राह्मण होते तो और बात थी। कभी-कभी यह भी संभव है कि तुम्हारा सवाल कोई भूमिहार-ब्राह्मण के बदले दलित-पिछड़ा क्लर्क देख लिया और उसको लगा कि यह सवाल जायज है तब भी बाधा है।
फिर कैसन बाधा भाई। सीएम है कि घनचक्कर है। सुने हैं कि कर्पूरी ठाकुर और लालू प्रसाद जब सीएम थे तब कोई जाके उनसे ऐसहीं भेंट कर सकता था। लेकिन एगो बात कहूं नवल भाई। आपने मेरे मन का सवाल कहा। हम यही तो पूछना चाहते हैं सीएम से कि खाली गरीब-गुरबा के बेटा-बेटी काहे मर रहा है।
यार बुधनमा हम दोनों दोस्त हैं तो एक-दूसरे को समझेंगे ही। तुम ठहरे इंसान आदमी। लेकिन का करोगे समय बदला है। सीएम अब सीएम थोड़े है। सीईओ है।
सीईओ का मतलब क्या होता है नवल भाई? यह कोई नया पद है क्या डेमोक्रेसी में?
सीईओ मतलब चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर। आजकल पीएम भी खुद को यही समझता है। देश अब लोक कल्याणकारी राज्य नहीं कंपनी हो गया है। खैर छोड़ो यह सब। तुमको रास्ता बताते हैं नीतीश कुमार से भेंट करे के। तो क्या है कि यदि तुम्हारा सवाल चुन लिया गया तब स्वास्थ्य विभाग का अधिकारी तुमको पटना बुलावेगा। उ तुमको खिलाएगा-पिलाएगा। तुम्हारा सवाल सुनेगा। तुम्हारे सवाल का जवाब समझाएगा। फिर जब तुम मान जाओगे कि तुम्हारे सवाल का जवाब मिल गया तब उ तुमको सीएम से भेंट करावेगा।
जब सवाल का जवाब मिल ही जाएगा तब काहेला कोई सीएम से भेंट करेगा नवल भाई।
अरे यार बुधनमा। आजकल सेल्फी का जमाना है। तुम ठहरे पासी जाति के। तुम्हारे साथ फोटो खिंचवाएगा नीतीश कुमार। इसको चाहो तो तुम नौटंकी कह सकते हो। लेकिन यही होता है बुधनमा भाई।
अच्छा नवल भाई। एगो बात बताइए। आप कभी गए सीएम से भेंट करे।
गए हैं बुधनमा भाई। दर्जनों बार। एक बार अकेले में भी बातचीत हुई थी। हालांकि तब नीतीश कुमार अंडासन पर बैठे थे।
अंडासन मतलब?
कुछ नहीं यार बुधनमा। 2014 में चुनाव हारने के बाद कुछ दिन के लिए सिंहासन छोड़कर अंडासन पर बैठे थे नीतीश कुमार और सिंहासन पर जीतन राम मांझी को बैठा दिहिन थे। तब की बात है। तुम क्या जानना चाहते थे?
कुछ नहीं खाली यही कि नीतीश कुमार तो महल में रहता होगा।
हां, महल ही कहो। 1 अणे मार्ग कहते हैं उसको। वहां अंदर में कई मकान हैं। जैसे लोक संवाद, नेक संवाद, चिंतन कक्ष, महाचिंतन कक्ष और जनानी किता भी है।
बाप रे। लोक संवाद तो समझ में आता है। बाकी सब समझ के परे है। नेक संवाद मकान में बैठकर किससे नेक संवाद करता होगा इ नीतीश कुमार। जरूर साधु-फकीर के लिए होगा। आउर चिंतन कक्ष इंसेफलाइटिस जैसी अगंभीर विषय पर चिंता के लिए और महाचिंतन कक्ष तो बिल्कुल तब उपयोग करता होगा नीतीश कुमार जब कोई खासमखास मिलने आता होगा। आपकी भाषा में कहें तो कोई भूमिहार-ब्राह्मण। और जनानी किता किसके लिए नवल भाई। उ तो रंडवा आदमी है नीतीश कुमार।
यार बुधनमा, पत्रकार आदमी हूं। पटना में बैठे-बैठे हमको दिल्ली में गोली मरवा देगा। जाए दो हमको और तुमको क्या करना है उसके जनानी किता से। हो सकता है कि उसके परिवार में लोग होंगे। तुमको नीतीश कुमार से मतलब रखना चाहिए। उसके परिवार से क्या मतलब।
नवल भाई। हम तो अब सोच लिए हैं कि जाएंगे भेंट करे। न होगा तो दीवार फांद जाएंगे और का। जादा से जादा का होगा जेल में डलवा देगा। लेकिन हम पूछ के रहेंगे कि इंसेफलाइटिस से खाली गरीब-गुरबा के बाल-बच्चा काहे मर रहा है।
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