हर चुनाव में मिला आश्वासन और चौपट हो गए गोपालगंज के कई उद्योग

गोपालगंज। वैसे घोषणाएं तो बहुत हुई। लेकिन इन पर अमल की कवायद नहीं हुई। ऐसे में उद्योग धंधे चौपट होते गए। चीनी मिल से लेकर डालडा फैक्ट्री तक एक के बाद बंद होते गए। मिलों के बंद होने से कामगार संकट में आ गए। कई पैसों के अभाव में भूखों मरने को विवश हुए तो कुछ ने मेहनत मजदूरी करने अपने परिवार को जैसे-तैसे संभाला। आज स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि इन मिलों में काम करने वाले मजदूर या उनके परिजनों की आस पूरी तरह से टूट गई है। इन परिवारों के लोग सूबे में आने व जाने वाली सरकारों की वादा खिलाफी का मलाल जरुर है।
हथुआ का डाला फैक्ट्री, सासामुसा का प्लाई वूड अब इतिहास की बात
सत्तर व अस्सी के दशक में गोपालगंज जिला उद्योग धंधों के मामले में काफी धनी था। जिले में चार-चार चीनी मिलें संचालित थीं। इसके अलावा हथुआ का डालडा फैक्ट्री व सासामुसा का प्लाई वूड फैक्ट्री भी बेहतर रफ्तार से चल रहा था। दूर दराज के इलाकों में खाड़सारी उद्योग भी अपनी गति पर था। गांवों में भी छोटे-छोटे उद्योग धंधे पनप चुके थे। लेकिन अस्सी के दशक के बाद उद्योग धंधों में गिरावट का खेल शुरू हुआ। इसके लिए काफी हद तक सूबे की सरकारों की नीति भी जिम्मेदार थी। आलम यह रहा कि 1980-90 के दशक में मीरगंज का चीनी मिल, हथुआ का डालडा फैक्ट्री तथा सासामुसा का प्लाई वूड फैक्ट्री बंद हो गया। छोटे उद्योग धंधों को आर्थिक मदद मिलना बंद होने के कारण ये भी जवाब दे गए। आज स्थित यह है कि जिले में जैसे-तैसे तीन चीनी मिलें चल रही हैं। लंबी अवधि बीतने के बाद भी जिले में नए उद्योग की स्थापना नहीं हो सकी है। यह स्थिति तब है जबकि बंद मिलों को चालू कराने जाने का आश्वासन कई बार सरकारों ने आम लोगों को दिया है।
क्यों बंद हुए उद्योग
* सरकारी स्तर पर संरक्षण का अभाव।
* आर्थिक मदद का समय से नहीं मिलना।
* घरेलू उद्योगों के प्रोत्साहन की पॉलीसी का अभाव।
* मिल मालिकों की गलत नीतियां।
* कच्चे माल की उपलब्धता में आ रही समस्याएं।
क्या है बंद मिलों की स्थिति
* जंग खा रही मीरगंज चीनी मिल की मशीनें।
* कई कीमती मशीनों की हो चुकी है चोरी।
* डालडा फैक्ट्री में उग आयी हैं बड़ी झाड़ियां।
* गांवों में दम तोड़ चुका है खाड़सारी उद्योग।
क्या हो रही समस्याएं
* हजारों की संख्या में बेकार हो गये मजदूर।
* मीरगंज चीनी मिल के सैकड़ों कामगार भूखमरी के शिकार।
* ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ी बेरोजगारी।
* बढ़ा आर्थिक संकट।





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