Saturday, March 2nd, 2019
आखिर अखबारों में क्यों नहीं दिखती ग्राउंड रेपोर्टिंग !
पुष्यमित्र नौ बज गये, अभी तक अखबार का बंडल बंधा पड़ा है। छुआ नहीं है। परसों तक सुबह सबसे पहले अखबार चेक करता था। सबसे पहले यह देखने कि अपने काम में कोई गलती तो नहीं रह गयी, दिन की मीटिंग में क्लास तो नहीं लगेगी। फिर यह देखने कि प्रतिद्वंद्वी अखबार ने किसी खबर में बढ़त तो नहीं ले ली है। आज दोनों में से कोई काम नहीं है। इसलिये, अखबार देखने की कोई उत्कंठा नहीं है। इसके बावजूद कि आज शनिवार है और मैं भी फुल टाइम फुरसतियाRead More