वीरेंद्र यादव
लोकसभा चुनाव के लिए कार्यक्रमों की घोषणा हो गयी है। सात चरणों में चुनाव होगा। 23 मई को मतों की गिनती होगी। चुनाव आयोग द्वारा कार्यक्रमों की घोषणा को लेकर सवाल भी उठाये गये और आयोग ने सफाई भी दी है। लेकिन सवाल यह है कि चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा के लिए ‘गदहबेर’ का चुनाव क्यों किया गया। कार्यक्रमों की घोषणा दिन में भी की जा सकती थी।
गदहबेर के लिए हिन्दी में शब्द है गोधूली। गोधूली का संबंध भगवान श्रीकृष्ण और गायों से जुड़ा है। श्रीकृष्ण अपनी गायों को चरा कर सूरज के ढलने के साथ घर की ओर लौटते थे। गायों के चलने के कारण धूल काफी उड़ती थी। इसीलिए इस वक्त का नाम गोधूली दिया गया होगा। इस समय में न रात होती है और न दिन। बिहार में नीतीश कुमार ने अपनी सरकार में ‘राजद वध’ इसी समय में किया था यानी राजद को सत्ता से हटाने का वक्त भी गदहबेर ही चुना था। उनकी अंतरात्मा गदहबेर में ही जगी थी। नीतीश ने इसी वक्त में राज्यपाल को इस्तीफा देकर राजद को ‘सत्तामुक्त’ किया था और भाजपा को ‘सत्तायुक्त’ किया था। इसे आप कह सकते हैं केंद्र के निर्देश और परामर्श पर नीतीश ने इस्तीफे और भाजपा को शामिल करने का वक्त गदहबेर ही चुना था।
नरेंद्र मोदी इस सरकार के मुखिया हैं। उन्होंने हर बड़े काम के लिए गदहबेर और रात को चुना था। प्रधानमंत्री के रूप में उनका शपथग्रहण का समय भी गोधूली ही था। नोटबंदी और जीएसटी की घोषणा भी रात में हुई थी। सरकार ने और भी कई बड़े काम रात में ही किये। कई राज्यों में भाजपा ने रात में बहुमत का जुगाड़ किया था और सरकार बनायी थी। बिहार में भाजपा के साथ नीतीश कुमार ने रात में ही राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया था। आखिर केंद्र की भाजपा सरकार और उसके मुखिया को दिन के उजाले से डर क्यों लगता है। जनता उम्मीद कर सकती है कि चुनाव में प्रचार के दौरान इस सवाल का जवाब जरूर मिल जाएगा।
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