वीरेंद्र यादव.पटना. आगामी 3 मार्च को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में एनडीए की ऐतिहासिक ‘टिकट रैली’ हो रही है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मौसम वैज्ञानिक के नाम से चर्चित रामविलास पासवान शामिल होंगे और सभा को संबोधित करेंगे। जदयू और लोजपा में नीतीश व रामविलास के बाद कोई पंक्ति नहीं बचती है। जबकि भाजपा की दूसरी पंक्ति के नेता भी सभा को संबोधित कर सकते हैं।
बिहार में तीन पार्टियों के एनडीए में सीटों की संख्या का बंटवारा हो गया है, लेकिन सीटों के नाम तय नहीं है। सीटों के नाम की घोषणा 3 मार्च यानी टिकट रैली के बाद होगी। एनडीए में टिकट के दावेदारों को अपनी पहलवानी यानी भीड़ रैली में दिखानी होगी। फिलहाल अभी एनडीए के लोकसभा में लगभग 25 सांसद हैं और सभी टिकट के दावेदार भी हैं। सभी सीटों पर एनडीए के दर्जन भर उम्मीदवार हैं। इस बार एनडीए के विधायकों को टिकट मिलने की संभावना नहीं है। इसलिए विधायक निश्चित हैं, लेकिन मन है कि मानता नहीं।
टिकट रैली को सफल बनाने के लिए बिहार के करीब सवा दो सौ सांसद, विधायक और विधान पार्षद पूरी ताकत के साथ जुट गये हैं। डबल इंजन की सरकार है। इसे आप ‘डबल ईंधन’ की सरकार भी हैं। इसलिए संसाधनों की कोई कमी नहीं है। सूत्रों की मानें तो एनडीए की ‘टिकट रैली’ में कम से कम 150 करोड़ रुपये खर्च करने का टारगेट है। इसमें अधिकांश हिस्सा भाजपा के माथे पर पड़ेगा। इसके बाद जदयू को बोझ उठाना होगा। रैली की भीड़ को लेकर रामविलास पासवान बेफिक्र हैं। जब सीट मिलेगी तो देखा जायेगा।
बिहार कथा
लोकसभा सदस्य संसद भवन को गोड़ लगकर मैदान में उतर गये हैं। विधायक और विधान पार्षद बजट सत्र के समापन के बाद यानी 21 फरवरी से रैली की तैयारी में जुटेंगे। 12-13 दिनों की तैयारी में टिकट की दिशा तय होगी और दावेदारों का दम दिखेगा। टिकट रैली के बाद ही सीटों और उम्मीदवारों पर विचार शुरू होगा।
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