Tuesday, November 6th, 2018
अपनी ही रियासत में चुनाव हार गये थे दरभंगा महाराज, 2019 में क्या होगा?
वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 25 (बिहार की राजनीति की सबसे जरूरी पुस्तक- राजनीति की जाति) बिहार की प्रमुख रियासतों में एक था दरभंगा राज। संभवत: सबसे बड़ी रियासत। दरभंगा के महाराजा कामेश्वर सिंह संविधान सभा के सदस्य भी थे। संविधान को अंतिम रूप में उनकी बड़ी भूमिका था। लेकिन इससे भी बड़ा तथ्य यह है कि महाराज कामेश्वर सिंह अपनी की रियासत के तहत आने वाले दरभंगा नार्थ से 1952 में लोकसभा चुनाव हार गये थे। 1952 में दरभंगा के नाम से चार लोकसभा सीट थी।Read More
बिहार का झंझारपुर : बहुत उलझा हुआ है गठबंधनों का झोल
वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 23 (बिहार की राजनीति की सबसे जरूरी पुस्तक- राजनीति की जाति) मधुबनी जिले के छह विधान सभा सीटों को मिलाकर झंझारपुर लोकसभा सीट का पुनर्गठन किय गया है। 1977 से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इस सीट पर देवेंद्र प्रसाद यादव पांच बार निर्वाचित हुए हैं। 2014 में भाजपा इस सीट पर पहली बार निर्वाचित हुई। भाजपा के उम्मीदवार वीरेंद्र चौधरी ने राजद के मंगनीलाल मंडल को करीब 55 हजार वोटों से पराजित किया। देवेंद्र यादव पिछले लोकसभा चुनाव में जदयू के उम्मीदवारRead More
महाराजगंज: राजपूत-भूमिहार से आगे नहीं बढ़ा प्रतिनिधित्व
वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 21 (बिहार की राजनीति की सबसे जरूरी पुस्तक- राजनीति की जाति) 1957 में पहली बार अस्तित्व में आयी महाराजगंज लोकसभा सीट से अब तक भूमिहार-राजपूत ही निर्वाचित होते रहे हैं। इससे इतर किसी अन्य जाति को मौका नहीं मिला। इसकी वजह रही है कि महाराजगंज का सामाजिक बनावट और बसावट राजपूत-भूमिहार के पक्ष में रही है। यादव वोटों की संख्या भी काफी है, लेकिन सीवान और सारण के राजनीतिक समीरण में महाराजगंज सभी पार्टियों के लिए राजपूत व भूमिहार के अनुकूल बैठताRead More
किशनगंज: एनडीए में सीट की होगी फेंका-फेंकी
वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 22 (बिहार की राजनीति की सबसे जरूरी पुस्तक- राजनीति की जाति) सीमाचंल का प्रमुख लोकसभा क्षेत्र किशनगंज की सभी छह विधान सभा सीटों से निर्वाचित विधायक मुसलमान ही हैं। माना जाता है कि राज्य में मुसलमानों की सर्वाधिक आबादी किशनगंज में है और चुनाव परिणाम वही तय करते हैं। यहां से निर्वाचित सभी सांसद मुसलमान ही होते रहे हैं। किशनगंज का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के टिकट पर पत्रकार एमजे अकबर और भाजपा के टिकट पर सैयद शाहनवाज हुसैन कर चुके हैं। किशनगंज केRead More
वैशाली: राजपूत-भूमिहार के वर्चस्व को तोड़ने की चुनौती
वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 24 (बिहार की राजनीति की सबसे जरूरी पुस्तक- राजनीति की जाति) ———————————————— वैशाली लोकसभा की छह सीटों में से 5 विधान सभा सीट मुजफ्फरपुर जिले की हैं, जबकि एकमात्र वैशाली विधानसभा सीट वैशाली जिले की है। इस सीट से निर्वाचित सभी सांसद राजपूत या भूमिहार जाति के ही होते रहे हैं। इस सीट से राजद के तीन विधायक हैं और तीनों यादव जाति के ही हैं। कांटी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित अशोक चौधरी पासी जाति के हैं और निर्दलीय निर्वाचित हुए हैं।Read More