दिसंबर में केंद्र सरकार से ‘तलाक’ ले सकते हैं उपेंद्र
वीरेंद्र यादव
रालोसपा के अध्यक्ष और केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की दिसंबर के पहले सप्ताह में एनडीए सरकार से विदाई लगभग तय हो गयी है। एनडीए में सम्मानजनक सीट की मांग पर अड़े उपेंद्र कुशवाहा ने आज पटना में कहा कि भाजपा को 30 नवंबर तक सीट बंटवारे की घोषणा कर देनी चाहिए। यह डेड लाइन कुशवाहा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को दिया है।
उपेंद्र कुशवाहा 8-9 फीसदी आबादी वाली कुशवाहा जाति का नेता होने का दावा करते हैं। इसी वोट की सौदेबाजी को लेकर भाजपा और महागठबंधन दोनों के साथ बातचीत का विकल्प बचा कर रख रहे हैं। लेकिन दोहरा खेल अब ज्यादा दिन नहीं चलने वाला है। भाजपा के महासचिव व बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव ने रालोसपा को जितनी सीट देने का प्रस्ताव दिया था, उसे कुशवाहा ‘सम्मानजनक’ नहीं मान रहे हैं। लेकिन यह भी तय है कि अमित शाह इससे ज्यादा घास डालने वाले नहीं हैं। कुशवाहा भाजपा अध्यक्ष से मिलने के लिए दिल्ली में रहकर दो दिनों तक ‘अर्जी’ लगाते रहे, लेकिन भाजपा ने नोटिस नहीं लिया। अब वे कह रहे हैं कि 30 नवंबर तक एनडीए में सीटों का बंटवारा फाइनल हो जाना चाहिए। यह भी विडंबना है कि सीट बंटवारा भाजपा को करना है और डेड लाइन मीडिया वालों को बता रहे हैं।
भाजपा और रालोसपा दोनों समझ रहे हैं कि ‘तलाक’ तय है। दिन पर बहस और विवाद हो सकता है। इसी बात का रार भी है। उपेंद्र कुशवाहा इस्तीफा देंगे या भाजपा उन्हें सरकार से बाहर का रास्ता दिखाएगी, इसी का खेल चल रहा है। भाजपा ने ऐसा माहौल बना दिया है कि कुशवाहा खुद ‘तलाक की अर्जी’ लगा दें। उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ जदयू के तल्ख तेवर बता रहे हैं कि कुशवाहा नीतीश को पंसद नहीं हैं। वैसी स्थिति में कुशवाहा के लिए एनडीए में गिनती के दिन रह गये हैं। उपेंद्र ने आज से 13वें दिन यानी तेहरवीं की तारीख तय कर दी है। उसके बाद इस्तीफा खुद प्रधानमंत्री को सौंपा आएंगे। क्योंकि असंमजस की स्थिति उपेंद्र कुशवाहा की राजनीतिक सेहत को भी खराब कर सकती है।
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