डार्क हॉर्स का लेखक और लॉज मालिकों की दबंगई

पुष्य मित्र
मुखर्जी नगर को आधार बना कर लेखक नीलोत्पल मृणाल ने डार्क हॉर्स उपन्यास लिखा था, कुछ वैसा ही इलाका नेहरू विहार कल से जंग का मैदान बना हुआ है. और उस जंग के मैदान में हमारा लेखक मकानमालिकों की गुंडई के खिलाफ डटा है और मार खाते हुए भी अपने युवा साथियों के हक की आवाज उठा रहा है. फेसबुक को स्क्रॉल करते हुए कल से ही यह सब पढ़ रहा हूं.

याद आता है कि अपने जमाने में हमने भी यही सब झेला है. पटना के कुन-कुन सिंह लेन में कुछ दिनों के लिए रहने का मौका मिला था. एक रात मकान-मालिक गंड़ासा लेकर पहुंच गया था. मगर हम दो साथियों के कांफिडेंस को देखकर खुद ही भाग गया. भले ही बाद में हमें कमरा बदलना पड़ा. मगर यह आभास है कि बिहारी छात्रों की जवानी इस चीजों के लिए अभिशप्त है.

छोटी-छोटी पढ़ाई के लिए बड़े-बड़े शहरों में शरण लेना. वहां एक-एक कमरे में तीन-तीन, चार-चार लड़कों का रहना. कॉमन लैट-बाथ और कई जगह किचेन भी. मकान मालिकों के लिए स्टूडेंट किरायेदार फेवरिट होते हैं. जिस टू बीएचके का किराया फैमिली वालों को देने पर छह हजार मिलता है, उसे लॉज बनाकर मकानमालिक अठारह से बीस हजार कमा लेते हैं. और ठीक-ठाक किराया देकर भी स्टूडेंट जानवरों की तरह रहते हैं.

जैसा दिल्ली का मुखर्जी नजर है, वैसा ही पटना का महेंद्रू और मुसल्लहपुर हाट है. सुविधाओं का और किराये का फर्क हो सकता है. मगर मकान मालिकों का दबदबा वैसा ही है, और छात्रों की स्थिति भी कमोबेस वैसी ही. और देश के हर शहर में इन लॉजों को लेकर कोई कानून, कोई व्यवस्था, कोई गाइडलाइन, कोई सरकारी निगरानी नहीं. दिल्ली के कांवरियों से कम बड़े उत्पाती वहां के मकान मालिक नहीं. यह तो दिख भी रहा है.

नीलोत्पल ने आवाज उठाकर पूरे देश का ध्यान इस ओर खींचा है. मसला सुलझे मगर इस ओर भी बात हो कि आखिर क्यों स्टूडेंट राजधानियों में इस तरह कैंप करने को विवश होते हैं. और अगर होते भी हैं तो लॉज संचालकों और मकानमालिकों के लिए कोई कायदा कानून क्यों नहीं. क्या दिल्ली की तथाकथित प्रगतिशील आम आदमी सरकार इस ओर ध्यान देगी? वह अपने मकानमालिक वोटरों को नाराज कर मेहमान छात्रों की समस्या सुलझायेगी. और मसला सिर्फ दिल्ली का नहीं. देश के सभी शहरों का है. क्या सभी सरकारें इस बारे में सोचेगी.






Related News

  • क्या बिना शारीरिक दण्ड के शिक्षा संभव नहीं भारत में!
  • मधु जी को जैसा देखा जाना
  • भाजपा में क्यों नहीं है इकोसिस्टम!
  • क्राइम कन्ट्रोल का बिहार मॉडल !
  • चैत्र शुक्ल नवरात्रि के बारे में जानिए ये बातें
  • ऊधो मोहि ब्रज बिसरत नाही
  • कन्यादान को लेकर बहुत संवेदनशील समाज औऱ साधु !
  • स्वरा भास्कर की शादी के बहाने समझे समाज की मानसिकता
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com