योग : स्वामी सत्यानंद ने जैसा कहा था, वैसा ही हुआ
Kishor kumar
साठ के दशक में मुंगेर में गंगा के तट पर बिहार योग विद्यालय की स्थापना करते हुए आधुनिक युग में यौगिक व तांत्रिक पुनर्जागरण के प्रणेता परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने कहा था –“ योग अतीत के गर्भ में प्रसुप्त कोई कपोल-कथा नहीं है। यह वर्तमान की सर्वाधिक मूल्यवान विरासत है। यह वर्तमान युग की अनिवार्य आवश्यकता और आने वाले युग की संस्कृति है। योग विश्व की संस्कृति बनेगा।“ उन्होंने योग को लेकर ऐसी भविष्यवाणी वैसे समय में की थी, जब माना जाता था कि योग केवल त्यागी, साधु और संन्यासियों के लिए है और कोई सांसारिक व्यक्ति अपनी इच्छाओं, वासनाओं, कर्मों व बंधनों को त्यागे बिना कोई इस पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता। पर योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलने के साथ ही स्वामी सत्यानंद सरस्वती की भविष्यवाणी सही साबित हो चुकी है। महासमाधिलीन परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती अब आगे की बात कर रहे हैं। वे देख पा रहे हैं कि आने वाले समय में लोग अपने जीवन में शांति, आनंद तथा सत्य को साकार करने के लिए यौगिक संस्कृति के साक्षात् संदेशवाहक बनेंगे।
#InternationalYogaDay2018
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