आशीष कुमार अंशु
बिहार कथा : यदि आपके शहर में कोई रेड लाइट एरिया हो, आप कल्पना कीजिए उन घरों में रहने वाली महिलाओं पर क्या बितती होगी जिनका पुस्तैनी घर उसी रेड लाइट एरिया में आता है लेकिन उनके मोहल्ले में होने वाले अनैतिक गतिविधियों में ना उनकी रुचि हो, ना कोई भूमिका। वहां घर होना ही उनके लिए अभिशाप हो जाता है। बिहार के मुजफ्फरपुर में चतुर्भूज स्थान के नाम से एक ऐसा ही रेड लाइट एरिया है, जो छोटे छोटे एक दर्जन से अधिक पट्टियों में बंटा है। इन्हीं पट्टियों में एक है लालटेन पट्टी। लालपट्टी को भी लोग उसी तरह जानते हैं, जैसे दिल्ली का जीबी रोड़ और कोलकाता का सोनागाछी मतलब रेड लाइट एरिया के तौर पर। चतुर्भूज स्थान के आस पास के सभी इलाकों में रहने वाले लोग मुजफ्फरपुर में पुलिस ज्यादति के शिकार होने को मजबूर थे, चूंकि इस इलाके मंे इनकी बात सुनने वाला और इनके पक्ष में बोलने वाला कोई भी नहीं था।
मार पीटाई और गालियां वहां रोज की बात हो गई। वैसे इस क्षेत्र में दो तरह के लोग ग्राहकों – यौनकर्मियों के अलावा अधिक सक्रिय नजर आते थे, एक दलाल और दूसरे पुलिस वाले।
अब उस क्षेत्र की स्थिति पहले से बदली है। इसके लिए स्थानीय लोग परचम और नसीमा को बधाई देते हैं। नसीमा पिछले कुछ सालों से इस इलाके में रहने वाली यौन कर्मियों और दूसरे वे लोग जो रहते तो इसी चतुर्भूज स्थान की चैहद्दी में हैं लेकिन यौन कर्मियों और उनके व्यावसाय से उनका कोई लेना देना नहीं है, के हितों की लड़ाई लड़ रहीं हैं।
नसीमा का अभियान हम चतुर्भूज स्थान की बेटी हैं, इस क्षेत्र पिछले कुछ समय से चल रहा है। इस अभियान के अंतर्गत चतुर्भूज स्थान में रहने वाली लड़कियों को इस बात के लिए तैयार किया गया कि जिस लाज शर्म वश लोगों को आज तक गलत पता बताती रहीं, अब वे ऐसा ना करें और अपना सही सही पता लोगों को बताएं। इतना ही नहीं स्कूल में भी बच्चों का सही पता दर्ज हो इसकी भी चिन्ता नसीमा की संस्था परचम करती हैं। कई यौन कर्मी ऐसी हैं, जिनके बच्चे तो हैं लेकिन उनके पिता का कोई अता-पता नहीं है। उन बच्चों के दाखिले में भी नसीमा और उनके साथी मदद करते हैं। नसीमा अपने साथियों की मदद से इस रेड लाईट एरिया में एक सुंदर पुस्तकायल भी चलाती हैं।
नसीमा ने परचम के बैनर तले बिहार मेंएक सर्वेक्षण किया। जिसके परिणाम बेहद चैंकाने वाले थे। बकौल नसीमा- अब यौन कर्मियों की हद रेड लाइट एरिया की शरहद को लांघ कर गांवों तक पहुंच गई है। नसीमा के अनुसार अपने सर्वेक्षण के दौरान उन्होंने कई ऐसे गांवों की पहचान की है, जहां रेड लाइट एरिया की तरह यौन कर्मियों का धंधा फल फूल रहा है। अपनी सक्रियता की वजहांे से नसीमा इस इलाके में सक्रिय रहे दलालों की आंखों की किरकिरी जरुर बन गई। अब नसीमा को फोन पर अलग अलग तरह से धमकी सुनने की मानों आदत सी बन गई है लेकिन तमाम चुनौतियों के बाद भी नसीमा मुजफ्फरपुर के चतुर्भूज स्थान में टिकी हुई हैं।
नसीमा के संबंध में नई जानकारी यह है कि नसीमा ने शादी करके राजस्थान में नई जिन्दगी शुरू की है। उनके पति भी एक्टिविस्ट हैं। इस तरह राजस्थान में भी नसीमा का एक्टिविज्म खत्म नहीं हुआ है। उनका संघर्ष जारी है। अपनी कर्मभूमि और जन्मभूमि बिहार को भी उन्होंने छोड़ा नहीं है।
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