करोडों रुपए का मिड डे मिल डकारने वाले 3 लाख स्कूली छात्र गायब
बिहार कथा न्यूज नेटवर्क.सहरसा.मधेपुरा.
बिहार में एक ओर घोटाले का पर्दाफाश हुआ है.कोसी क्षेत्र के स्कूलों में फर्जी दाखिला दिखा कर उनके नाम पर मीड डे मिल की करोडों की राशि गबन करने का मामला सामने आ रहा है. जांच की जैसे ही सुगबुगाहट हुई, अचानक स्कूलों से नामांकित छात्रों की संख्या तीन लाख तक कम हो गई है. सरकारी राशि, मध्याह्न भोजन, पोशाक समेत अन्य योजनाओं के पैसे को गोलमाल करने के लिए फर्जी नामांकन का मामला अब सामने आ रहा है. मिली जानकारी के अनुसार करीब 46 फीसद बच्चे स्कूल नहीं आते हैं. सहरसा में स्कूल नहीं आने वाले बच्चों की संख्या 48 फीसद है. मधेपुरा में 41 एवं सुपौल में 49 फीसद हैं. सूत्र बताते हैं निजी विद्यालयों के छात्रों, शहर या गांव से बाहर रहने वाले छात्रों के अलावा आंगनबाडिय़ों पर जाने वाले छात्रों को भी सरकारी स्कूलों में नामांकित करा दिया जाता है.
ज्ञात हो कि सिर्फ मध्याह्न भोजन योजना की बात करें तो हर वर्ष करीब इसमें 50 करोड़ की राशि खर्च होती है. डेढ़ लाख क्विंटल से अधिक चावल का आवंटन होता है. इससे इतर पोशाक व अन्य योजनाओं पर भी 50 करोड़ से अधिक राशि खर्च की जाती है. आधार सीडिंग के बाद सरकारी राशि के गोलमाल पर विराम लग जाएगा. क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक प्रभाशंकर सिंह का कहना है कि फर्जी तरीके से नामांकित छात्रों के नाम काटे जा रहे हैं. आधार सीडिंग के बाद एक भी फर्जी छात्र नहीं रहेगा.
सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के लाभ के लिए आधार कार्ड व बैंक खाता अनिवार्य किए जाने के बाद फर्जी नामांकन की पोल खुलने लगी है. प्रमंडल में वर्ग एक से आठ तक के लिए 4,445 स्कूलों का संचालन हो रहा है. इनमें करीब 11 लाख विद्यार्थी पूर्व से नामांकित थे. आधार सीडिंग के बाद नामांकित बच्चों की संख्या तीन लाख तक कम हो गई. इनमें सहरसा में 87 हजार, मधेपुरा में एक लाख 25 हजार एवं सुपौल में डेढ़ लाख बच्चे हैं ।
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