कृष्णा शाही हत्याकांड में एसआईटी जांच की मांग

एमएलसी राजनीश कुमार ने कहा-हत्या के मामले को रफादफा कर रहा स्थानीय प्रशासन
बिहार कथा न्यूज नेटवर्क
पटना.भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय मंत्री एवं बिहार विधान परिषद में विरोधी दल के मुख्य सचेतक रजनीश कुमार ने स्थानीय प्रशासन पर गोपालगंज में पार्टी के वरिष्ठ नेता कृष्णा शाही की छह दिन पूर्व हुयी हत्या के मामले को रफा-दफा करने का आरोप लगाते हुये आज इसकी जांच पुलिस मुख्यालय की देखरेख में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की। श्री कुमार ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 18 जुलाई को गोपालगंज जिले के हथुआ प्रखंड के चैनपुर की मुखिया श्रीमती शांता शाही के पति एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता कृष्णा शाही की सुनियोजित तरीके से हत्या कर दी गयी थी। श्री शाही की हत्या के पीछे राजनीतिक साजिश की बू आ रही है। भाजपा नेता ने कहा कि हत्या के तुरंत बाद ही गोपालगंज के पुलिस अधीक्षक ने आनन-फानन में संवाददाता सम्मेलन कर हत्यारों एवं साजिशकर्ताओं को बचाने के उद्देश्य से श्री शाही का चरित्र हनन करने की कोशिश की है, जो पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है । उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के पहले ही पूरे मामले का सुलझा लेने का दावा भी किया। श्री कुमार ने कहा कि पुलिस अधीक्षक ने हत्या के साजिशकर्ता एवं अन्य अभियुक्तों का उद्भेदन करने के बदले श्री शाही के चरित्र पर सवाल खड़ा करते हुए हत्या का मूल कारण उन्हीं के ऊपर मढ़ दिया । श्री शाही की हत्या का कारण खाने की सब्जी में कीटनाशक मिलाने को माना जा रहा है, जो उचित नहीं है। भाजपा नेता ने कहा कि सब्जी में कीटनाशक मिलाने के बाद उसमें दुर्गंध का अहसास नहीं होना आश्चर्य की बात है। उन्होंने कहा कि साथ ही शरीर में जहर का अहसास होने पर दरवाजे से बाहर निकलकर लोगों से मदद लेने की बजाय घटनास्थल से करीब 500 मीटर दूर कुएं में जाकर कूदना भी जांच पर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि घटना मंगलवार के दिन हुयी है और इस दिन वह उपवास रहा करते थे। ऐसे में सब्जी खाने की बात कहना भी शक के दायरे में आता है। श्री कुमार ने कहा कि इस मामले में अबतक अभियुक्त आदित्य राय को ही गिरफ्तार किया गया है। पुलिस इस घटना के साजिशकर्ता एवं अन्य अभियुक्तों के नाम का अबतक खुलासा नहीं कर रही है और पूरे मामले को दूसरी ओर मोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011-12 में उनकी जान पर खतरे की आशंका को देखते हुए सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराया गया था लेकिन पंचायत चुनाव के समय पुलिस अधीक्षक ने उनके अंगरक्षक को वापस ले लिया था। भाजपा नेता ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय के श्री शाही को अंगरक्षक दिये जाने के आदेश के बावजूद पुलिस अधीक्षक ने उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं करायी और उनके दो रायफल की अनुज्ञप्ति को भी रद्द कर दिया गया था । वर्ष 1996 में श्री शाही के पिता मैनेजर शाही की भी हत्या कर दी गयी थी। उन्होंने कहा कि इस मामले की एसआईटी से जांच कराये जाने के बाद ही सच्चाई का पता चल सकेगा।






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