गोपालगंज में भगवा प्रेम ने चौपट कर दी भूमिहारों की राजनीतिक विरासत

दुर्गेश यादव. गोपालगंज.
एक समय था  गोपालगंज में भूमिहारों का बोल बाला था | नगीना राय जैसे नेता हुआ करते थे | जिनका सम्मान सभी जाति-धर्म के लोग करते थे | यह ब्राम्हणों को बर्दास्त नहीं हुआ धोखे के उनकी हत्या कर दी | नगीना बाबु के हत्या के बाद भी गोपालगंज के भूमिहार उनका बोया हुआ फसल काटते रहे | नगीना समर्थकों को नगीना राय के चाहने वाले मुखिया, विधायक और अन्य पदों पर बैठाते रहे | नगीना राय के विचरों से सजी धजी भूमिहारों की पीढ़ी समाप्त हो गयी उसी के साथ भूमिहारों का राजनिति भी गर्त में जाने लगी.
नए पीढ़ी के भूमिहार नेता आये भगवा धारण कर उग्र राष्ट्रवाद का झंडा लिए हुए जय श्री राम के नारों के साथ | ये भगवा धारी भूमिहार नेता अपने राजनितिक मित्र जाति-धर्म के लोगों से दूरी बनाते गए और अब इतना दूर चले गए हैं की लौटना भी मुस्किल हैं.
यह फर्जी देशभक्ति ने भूमिहारों को इस हाल में खड़ा कर दिया है की आज गोपालगंज के छ: बिधानसभा एक एम्एलसी में से किसी पर भी भूमिहार का मुख्य धारा की पार्टी का टिकट नहीं मिलाना लगभग तय हैं.
गोपालगंज में भूमिहारों का मजबूत गढ़ माने जाने वाले कुचायकोट में भी भूमिहार वोट कटवा के अवतार में हैं | कुचायकोट के भूमिहारों की स्थिति बहुत बिचित्र है ये जहा भी हैं वहां ठीक से नहीं हैं | जो भगवा धारी पार्टी में वो ठेकेदारी के लिए जदयू में लार टपका रहें है और जो राजद में हैं वो परिवार के बच्चों का मुखिया जिला परिषद् बीडीसी वाला सीट बचा रहें इसलिए अपनी पार्टी के बिचारधरा और समर्थको से दूरी बना कर रह रहें हैं क्योंकि उनकी जाति के सब लोग भगवा पहने हैं उनके खिलाफ गए तो यह बाल बच्चों का सीट भी चला जायेगा |
राजनीती में इस दोहरे चरित्र वाली जाति से बच कर रहने में ही भलाई है इनका मित्र होना ही ज्यादा खतरनाक है | कई जवलंत उदहारण आपके आस पास है | सबसे बड़े उदाहरण साधु यादव हैं भूमिहारों से इनकी बहुत जमती थी आज कहाँ हैं उनका स्थान देख लीजिये. (दुर्गेश यादव राजद के कार्यकर्ता हैं)






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