साझा उम्मीदवार खड़ा करने की कवायद में जुड़े विपक्ष को चौकाएंगे मोदी
राष्ट्रपति चुनाव : भाजपा के सामने सर्वसम्मति से उम्मीदवार चुनने का विकल्प लगभग खत्म
नई दिल्ली. ए. राष्ट्रपति चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा करने की विपक्ष की जल्दबाजी से संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा के सामने सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुने जाने का विकल्प लगभग खत्म होता जा रहा है. हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक चुनाव की तारीखों का ऐलान तक नहीं किया है, पर विपक्षी दलों के बीच अपना उम्मीदवार फाइनल करने की कवायद काफी तेज नजर आ रही है. ऐसे में सर्वसम्मति से चुनाव न हो पाने की सूरत में बीजेपी को इसका ठीकरा विपक्ष पर फोड़ने की वजह मिल गई है. पार्टी नेता यह भी कह रहे हैं कि मोदी अपने उम्मीदवार से विपक्ष को चौंका भी सकते हैं. राष्ट्रपति चुनाव में सर्वसम्मति से उम्मीदवार चुने जाने के सवाल पर एक प्रभावशाली बीजेपी नेता ने कहा, अगर विपक्ष अपना उम्मीदवार खड़ा करता है तो हमारे पास चुनाव लड़कर जीतने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा. उन्होंने यह भी कहा कि अगर विपक्ष सर्वसम्मति का आदर करता है तो हम इसका स्वागत करेंगे. दरअसल, कांग्रेस के नेतृत्व में बीजेपी विरोधी खेमा राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से साझा उम्मीदवार खड़ा करने की कवायद में जुटा है. ऐसे में बीजेपी ने भी अभी से विपक्ष की इस जल्दबाजी पर निशाना साधने की तैयारी शुरू कर दी है. पार्टी के पदाधाकिरी सर्वसम्मति से उम्मीदवार न चुनने के लिए विपक्ष को घेरने को तैयार बैठे हैं.
विपक्ष के बड़े नेता मिल चुके हैं सोनिया से
पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्ष के कई बड़े नेताओं से साझा उम्मीदवार पर चर्चा के लिए मुलाकात की है. खास बात यह है कि सत्ताधारी बीजेपी की ओर से अभी तक इस मसले पर कुछ साफ नहीं कहा गया है, पर विपक्ष के नेता अभी से सार्वजनिक तौर पर अपना उम्मीदवार खड़ा करने की बात कर रहे हैं. 2002 में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने एपीजी अब्दुल कलाम को सर्वसम्मति से उम्मीदवार बनाया था. उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद कलाम के लिए नामांकन पत्र का एक-एक सेट दाखिल किया था. सिर्फ वामपंथी दलों ने अपना अलग उम्मीदवार खड़ा किया था.
2007 में भी ऐसा ही हुआ था
2007 में जब यूपीए ने प्रतिभा पाटिल का नाम राष्ट्रपति चुनाव के लिए आगे किया तो तत्कालीन उपराष्ट्रपति और बीजेपी के वरिष्ठ नेता बीएस शेखावत ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. ऐसे में बीजेपी को चुनाव का रास्ता अख्तियार करना पड़ा. 2012 में प्रणब मुखर्जी का नाम तय करने से पहले यूपीए को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्ष के नेताओं से सर्वसम्मति से चुनाव के लिए समर्थन मांगा, लेकिन ममता और मुलायम इसके लिए राजी नहीं थे. उधर एक हफ्ते बाद बीजेपी की मदद से पीए संगमा भी चुनाव में कूद पड़े थे.
साझा उम्मीदवार की कवायद में कांग्रेस
हालांकि इस बार कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष काफी पहले से ही साझा उम्मीदवार खड़ा करने की कवायद में जुट गया है जिससे बीजेपी को भी यह कहने का बहाना मिल गया है कि उसने सर्वसम्मति की संभावनाएं क्यों नहीं तलाशीं. एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, मोदी की चौंका देने की क्षमता को कम मत आंकिए. हो सकता है कि वह ऐसा उम्मीदवार सामने ले आएं जिससे विपक्ष के नेता बैकफुट पर जाने को मजबूर हो जाएं और चुनाव लड़ना उन्हें राजनीतिक तौर पर भारी पड़ जाए.
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