परिवहन क्रांति का मसीहा : नितिन गडकरी; तीन साल में सड़क विकास को मिली नई दिशा
केंद्र सरकार के तीन साल और नीतीन गडकरी के जन्मदिन पर विशेष
ब्यूरो. नई दिल्ली.
नितिन गडकरी ने 2014 में केन्द्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्रालय संभालने के बाद पहली बार जब सार्वजनिकतौर पर बोले थे कि मैं जो कहता हूं, वह करता हूं, तब शायद उनकी बात को भी राजनीतिक जुमलेबाजी ही समझी गई होगी. परन्तु तीन साल में देश की रपटीली राह की जो तस्वीर सामने आई, उसने हर किसी के लिए जुमलेबाज सही नहीं होती की नई थ्योरी दे दी. उन्होंने वाकई असंभव को संभव बनाने की कोशिश की है. सड़क हो या जल परिवहन इन दोनों क्षेत्रों के विकास का जो खाका सामने आया है, उससे लग रहा है कि वास्तव में देश के आर्थिक विकास को इसी रास्ते से मंजिल मिलेगी. गडकरी ने तीन साल में सड़क विकास को एक नई दिशा दी है. 2014 में राष्ट्रीय राजमार्ग की लम्बाई 97 हजार किमी थी, जो 1 लाख 75 हजार किमी पहुंच गई है. तीन किमी प्रतिदिन के हिसाब से बनने वाली सड़क अब 23 किमी प्रतिदिन बन रही है. रोड-पोर्ट -रेल सम्पर्क को बढ़ाने की दिशा में गडकरी ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. गडकरी ने अब सड़क हादसों में कमी लाने की मुहिम तेज कर दी है. उनकी यह पहल सड़क पर चलते हुए मंडराते खतरे को कम करेगा. देश में सड़क निर्माण के काम में गति आई है. राष्ट्रीय राजमार्गों को उन इलाकों से जोड़ा जा रहा है, जहां सम्पर्क की कमी है. एक्सप्रेस-वे बनाए जा रहे हैं, जो देश में आवागमन की रफ्तार को बढ़ाएंगे. देश में 12 एक्सप्रेस-वे बनाने की योजना है. यह एक्सप्रेस-वे आर्थिक कारीडोर का काम करेंगे. गडकरी का मानना है कि एक्सप्रेस-वे बनने से देश का आर्थिक विकास गतिशील होगा. क्योंकि इन एक्सप्रेस-वे के कारण दूर का सफर जल्द तय होगा, इससे ईधन और समय की बचत होगी. दिल्ली-मेरठ के बीच एक्सप्रेस-वे का काम तेजी से हो रहा है. इसके बनने के बाद दिल्ली से मेरठ पहुंचने में अभी दो घंटे का लगने वाला समय 40 मिनट का हो जाएगा. इसे लखनऊ से जोड़ने की योजना है. इसके लिए गडकरी द्वारा खाका बना लिया गया है. दिल्ली से कटरा तक एक्सप्रेस-वे बनाने को लेकर भी पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ लगातार बैठकें हो रही हैं. इस एक्सप्रेस-वे के बन जाने से सड़क मार्ग से दिल्ली से कटरा जाने में अभी जो 12 घंटे का समय लगता है, वह घटकर 6 घंटे हो जाएगा.
97 हजार किमी की सड़क हुई 1.75 लाख किमी
2014 में राष्ट्रीय राजमार्गों की लम्बाई 97 हजार किमी थी, जो अब बढ़कर 1 लाख 75 हजार किमी पहुंच गई है. गडकरी ने जरूरत के हिसाब से बिना किसी तरह का भेदभाव किए राज्यों में राष्ट्रीय राजमार्ग की घोषणा की है. भारतमाला, सागरमाला और सेतु भारतम् परियोजना के जरिए गडकरी देश के सड़क परिवहन को नई दिशा में ले जा रहे हैं. भारत माला योजना में धार्मिक, पर्यटन और पिछड़े इलाकों की सड़कों को बनाया जाएगा. गडकरी का मानना है कि देश में अच्छी सड़क होने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन पैदा होंगे और पर्यटन क्षेत्र वाले इलाके का विकास होगा. चारधाम और कैलाश मानसरोवर यात्रा उसी उदेश्य का एक हिस्सा है. सागरमाला परियोजना से देश में नए पोर्ट निर्माण के साथ पुराने पोर्ट को आधुनिक किया जा रहा है. गडकरी खुद मानते हैं कि सड़क की वजाय जल परिवहन से सामान लाना- ले जाना काफी सस्ता है. उन्हीं के शब्दों में सड़क से माल ले जाने पर एक रुपए का खर्च आता है. रेल से ले जाने पर 75 पैसा और जल मार्ग से सामान ले जाने पर खर्च घटकर 25 पैसे से 15 पैसा हो जाता है. इसलिए वह सड़क के साथ जल परिवहन पर भी फोकस करके चल रहे हैं. उनकी योजना सड़क के ट्राफिक को जल परिवहन में ले जाने की भी है, इसीलिए वाराणसी-हल्दिया के तत्काल बाद साहेबगंज-हल्दिया जल परिवहन को शुरू कराया. अब उनकी योजना जल परिवहन को इस तरह संचालित करने की है, जिसमें जलमार्ग से लोगों की आवाजाही बढ़ सके. इसके लिए मुम्बई, गोवा में लोगों के लिए जल मार्ग का रास्ता बनाने के बाद अब वह गंगा, यमुना, महानदी, ब्रम्हपुत्र जैसी नदियों पर यात्री परिवहन शुरू करने का काम कर रहे हैं. सेतुभारतम् योजना से गडकरी हाइवे पर वाहनों के रूकने का झंझट खत्म कर रहे हैं. इस परियोजना से रेल ओवर ब्रिज और रेल अंडरपास बनाने का काम तेज गति से किया जा रहा है, जिससे हाइवे पर रेल फाटक के कारण वाहनों के रूकने की विवशता खत्म हो जाय और उनके गन्तव्य तक पहंुचने के समय में कमी आए. इसी तरह से सड़क पर माल वाहनों के रूकने से समय और दन के खर्च को बचाने के लिए उन्होंने ई-टोल पर जोर दिया है. सभी टोल नाकों को फास्ट ट्रैग किया जा रहा है. इससे किसी वाहन को टोल पर नहीं रूकना पड़ेगा. इससे ईधन और धन दोनों की बचत होगी.
पूर्वोत्तर के विकास पर खास ध्यान
गडकरी पूर्वोत्तर के राज्यों के सड़क विकास पर भी खास ध्यान दे रहे हैं. असम, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड के बीच आपसी सड़क सम्पर्क को बेहतर करने का काम ध्रुत गति से हो रहा है. इसके लिए उन्होंने एनएचआईडीसीएल कम्पनी बना दी है. जम्मू-कश्मीर में हर साल सर्दी और बरसात में जाम लगने की समस्या पैदा हो जाती है. गडकरी ने इसके निदान के लिए ठोस प्रयास किया है. जम्मू-श्रीनगर के बीच दूरी कम करने के साथ जाम की समस्या खत्म हो गई है, साड़े 9 किमी लम्बी चेनानी-नाशरी सुरंग के कारण जहां दोनों इलाकों के बीच पहुंचने का साढ़े तीन घंटे का समय कम हुआ है, वहीं इसी मार्ग पर निर्माणाधीन तीन और सुरंग मार्ग के बन जाने से श्रीनगर पहुंचना बहुत आसान हो जाएगा. असम-अरूणाचल के बीच लोहिद नदी की बाधा भी खत्म हो गई है. सवा 9 किमी देश का सबसे बड़ा ढोला-सदिया ब्रिज बनाकर गडकरी ने अरूणाचल प्रदेश पहुंचने का रास्ता सुगम कर दिया है. तिनसुकिया जिले से सदिया कस्बे को जोड़ने वाले ब्रिज से साढ़े 6 घंटे का सफर 60 मिनट में पूरा होने लगा है. लेह-लद्दाख में जोजिला सुरंग मार्ग बन रहा है. इसके बनने के बाद कश्मीर और उससे आगे तक पर्यटकों का पहुंचना आसान हो जाएगा.
सड़क के साथ चलने वालों की सुरक्षा की भी चिंता
नितिन गडकरी सिर्फ सड़क नहीं बना रहे, बल्कि उन सड़कों पर चलने वाले लोगों की सुरक्षा की भी चिंता लेकर चल रहे हैं. देश में 726 ऐसी जगह चिंहित कर उन्हें सुधारने का काम किया जा रहा है, जहां अक्सर दुर्घटना होने के कारण मौत हो रही हैं. महज एक साल में 96 दुर्घटनाकारी सड़कों को ठीक किया जा चुका है. इसके अलावा भविष्य में सड़क यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए कई नियमों में बदलाव किया है. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है ड्रायविंग लायसेंस की प्रक्रिया में परिवर्तन. नए मोटर व्हीकल एक्ट पारित होने के बाद अब ड्रायविंग लायसेंस बनवाना आसान नहीं होगा. लायसेंस तभी बनेगा जब कम्प्यूटर पास करेगा. चालक के लायसेंस की परीक्षा कम्प्यूटर द्वारा ली जाएगी और उसके पास करने के बाद ही वाहन चलाने का लायसेंस मिल पाएगा. इस प्रक्रिया से लायसेंस बनाने में वर्षों से चल रहे भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी. सड़क सुरक्षा को लेकर जनजागरूकता के लिए व्यापक स्तर पर काम हो रहा है. यह कहना गलत नहीं होगा कि पिछले तीन साल में श्री गडकरी ने नए विजन के साथ सड़क विकास का काम शुरू किया है, जिसके परिणाम सामने आने लगे हैं. इस क्षेत्र में जिस गति से काम चल रहा है, उससे स्पष्ट है कि पांच साल में राष्ट्रीय राजमार्ग को दो लाख किमी करने का लक्ष्य असंभव नहीं है. देश केन्द्र सरकार के सभी विभागों के कामकाज का आकलन कर रहा है. नितिन गडकरी का काम सामने दिखता है. इसीलिए तीन साल पूरे होने के दो दिन पहले अपने कबीना मंत्रियों से मिले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मुंह से नितिनजी की जय हो, यूं ही नहीं निकल गया. बल्कि, मोदी के इन शब्दों ने साफ कर दिया कि काम बोलता है.
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