नीतीश के सधे बयान और सधी चुप्पी : क्या उन्हें बाधा नहीं सिर्फ सहयोगी ही चाहिए?
पटना :(prabhatkhabar.com) बिहार की राजनीति में इन दिनों तीन बड़े चेहरे सियासी हलचल के केंद्र में बने हुए हैं. पहला चेहरा है, बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का, जो लगातार लालू परिवार के खिलाफ बेनामी संपत्ति को लेकर मुहिम चल रहे हैं. दूसरा चेहरा है, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का, जो लगातार सुशील मोदी के आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा को चैलेंज दे रहे हैं. इस प्रकरण के बीच तीसरा और महत्वपूर्ण चेहरा है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का, जो सावधानीपूर्वक ही सही बेनामी संपत्ति प्रकरण और भ्रष्टाचार के विरोध में अपने तेवर तल्ख रखे हुए हैं. हाल के दिनों के घटनाक्रम को देखें, तो यह तीनों नेता बिहार के सियासी हलचल के केंद्र में हैं. मंगलवार को एक राष्ट्रीय संगोष्ठी में नीतीश कुमार द्वारा संपत्ति और इंसान के लालच से जुड़ा हुआ दिया गया बयान भी राजनीतिक जानकर इसी संदर्भ में देखते हैं. जानकारों की मानें, तो नीतीश कुमार बेनामी संपत्ति के खिलाफ ही नहीं हैं, बल्कि इस पर कड़ी कार्रवाई भी चाहते हैं.
इशारों में बेनामी संपत्ति पर नीतीश का हमला
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि आदमी की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है, लेकिन लालच को नहीं. उन्होंने कहा कि लालच की इजाजत कतई नहीं दी जा सकती. सीएम ने कहा कि रोटी कपड़ा और मकान आदमी की बुनियादी जरूरतें हैं. फिर भी, देख लीजिए कैसा जीवन होता जा रहा है. तरह-तरह की चीजें जुटाने के लिए होड़ मची है. मुख्यमंत्री ने कहा कि दिन-प्रतिदिन नयी-नयी तकनीक का ईजाद हो रहा है, लेकिन इसकी वजह से पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों पर कभी चर्चा नहीं होती. राजनीतिक विश्लेषक, प्रो0 अजय कुमार झा कहते हैं कि नीतीश कुमार के दिये गये इस बयान को सीधे बेनामी संपत्ति प्रकरण से जोड़कर देखा जा सकता है. उनके मुताबिक हाल के दिनों में नीतीश कुमार सामाजिक मुद्दों और परिस्थितियों के अलावा समस्याओं को लेकर मुखर हुए हैं. उन्होंने शराबबंदी, दहेज के अलावा बेनामी संपत्ति की पुरजोर खिलाफत की है. प्रो. अजय कुमार झा के मुताबिक, नीतीश के इस बयान के मायने समझने के लिए थोड़ा सा पीछे लौटना होगा. पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले पर नीतीश कुमार ने जोर देकर कहा था कि पीएम मोदी को लगे हाथ बेनामी संपत्ति के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए. प्रो. कहते हैं कि नीतीश कुमार लालू परिवार के बेनामी संपत्ति मामले से खुद को थोड़ा दूर रखकर इस पूरे प्रकरण पर कानून सम्मत मौन समर्थन दे रहे हैं.
लालू परिवार है बेनामी संपत्ति प्रकरण के केंद्र में
ज्ञात हो कि बिहार में इन दिनों लालू परिवार बेनामी संपत्ति प्रकरण को लेकर केंद्र में है. राजनेताओं द्वारा दिये गये हर बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. सुशील मोदी लालू परिवार पर लगातार हमलावर बने हुए हैं. सुशील मोदी लगभग दो महीने से लालू परिवार के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं. इस बीच लालू से जुड़े 22 ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी और मंगलवार को लालू पुत्री मीसा भारती के सीए के गिरफ्तार होने की सूचना है. उधर, इस प्रकरण के बाद लालू पूरी तरह हमलावर हैं और अपनी पूरी संपत्ति वैध बता रहे हैं. प्रो. अजय कुमार झा कहते हैं कि इन सभी घटनाओं के बीच, हाल में नीतीश कुमार ने जितने भी सार्वजनिक बयान दिये उसमें कहीं न कहीं बेनामी संपत्ति, भ्रष्टाचार और लालच को लेकर चर्चा जरूर है. बिहार की राजनीति को करीब से देखने वाले झा मानते हैं कि नीतीश एक सोची समझी रणनीति के तहत इस तरह के बयान दे रहे हैं. ताकि, बेनामी संपत्ति के झटकों से कमजोर पड़े लालू उनकी राह में बाधा नहीं बल्कि सहायक बनने पर अपने-आप विवश होंगे.
इससे पूर्व भी नीतीश ने दिया था बयान
इससे पूर्व नीतीश कुमार ने एक महीने तक चुप रहने के बाद मीडिया से बातचीत में यह कहा था कि बीजेपी जो आरोप लगा रही है, उसमें अगर सच्चाई है तो केंद्र की बीजेपी सरकार अपनी एजेंसियों से जांच या कार्रवाई क्यों नहीं करा रही है ? नीतीश के इसी बयान के बाद आयकर विभाग ने छापेमारी की और लालू खेमे में यह स्पष्ट संदेश गया कि नीतीश का यह बयान उकसाने वाला बयान है. उसके बाद राजद सुप्रीमो ने ट्वीट में बीजेपी के पार्टनर वाली बात कह दी और पूरा मामला ही उल्टा पड़ने लगा. हालांकि, राजद ने तत्काल स्पष्ट किया कि पार्टनर का मतलब आयकर विभाग और सीबीआई था. जानकारों की मानें तो राजद की यह सफाई गले उतरने वाली नहीं थी. इसलिए, किसी भी सार्वजनिक मंच से आजकल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संपत्ति और भ्रष्टाचार के अलावा लालच से जुड़ी बात जरूर कह रहे हैं.
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