क्या आप जानते हैं कैसे हुआ था बिहार के लेनिन जगदेव प्रसाद का मर्डर!
एक जबरदस्त क्रांतिकारी महात्मा कि जीवनी पढ़े : बाबू जगदेव प्रसाद ( 2 फरवरी 1922 – 5 सितम्बर 1974) भारत के बिहार प्रान्त में जन्मे के एक क्रन्तिकारी राजनेता थे। इन्हें ‘बिहार लेनिन’ के नाम से जाना जाता है।जिन्होने एक अच्छे समाज को गढने मे जी जान लगा दिया।
-प्रस्तुति-मुनेश राम,पत्रकार
बिहार लेनिन जगदेव प्रसाद के संघर्षों की पृष्ठभूमि में इनके खिलाफ सवर्ण सामंतों का षडयंत्र तैयार होने लगा. उन्हें लग रहा था कि यदि जगदेव प्रसाद की हत्या नहीं की गयी तो हमारा जीना मुहाल हो जायेगा. इस षडयंत्र के तहत 05 सितम्बर को कुर्था सत्याग्रह के दौरान जगदेव बाबू की हत्या की साजिश रची गयी. एक जाति विशेष के अफसरों की वहां तैनाती की गयी और सत्याग्रह में उपद्रव मचाने के लिए सवर्णों के कुछ गुंडे भेजे गए. उन्हीं गुंडों ने सत्याग्रह के दौरान पुलिस पर रोड़ेबाजी किये. इसी का बहाना बनाकर पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने जगदेव बाबू को भीड़ शांत करने के लिए बरामदे से बाहर आने के लिए कहा. उस दिन सत्याग्रह में बीस हज़ार लोग थे. जगदेव बाबू ज्यों ही लोगों को संबोधित करने के लिए बाहर आये….पुलिस प्रशासन के मौके पर मौजूद अधिकारी ने जगदेव बाबू को गोली मारने का आदेश दिया. समय अपराह्न साढ़े तीन बज रहा था. 27 राउंड गोली फायरिंग की गयी जिसमे एक गोली बारह वर्षीय दलित छात्र लक्ष्मण चौधरी को लगी तथा दूसरी गोली जगदेव बाबू के गर्दन को बेधती हुई निकल गयी. सत्याग्रहियों में भगदड़ मच गयी. पुलिस ने धरनार्थियों पर लाठी चार्ज किया. गोली लगने से जगदेव बाबू वहीं पर गिर गए. तुरंत उनके साथियों ने उन्हें उठाकर जीप पर रख कर ले जाने का प्रयास किया. परन्तु पुलिस जगदेव बाबू को छीन कर थाने में ले गयी. जगदेव बाबू ने पानी मांगा. थाने के सामने रहने वाली छोटन रजक की माँ पानी लेकर जगदेव बाबू को पिलाने ले गयी. परन्तु वहां पर खड़े राइफलधारियों ने उस दलित स्त्री से पानी छीन कर फेंक दिया. पानी देने के बदले पुलिस उनकी छाती पर चढ़कर बन्दूक के कुंदे से छाती को रौंद दिया. जगदेव बाबू ने ‘जय शोषित, जय भारत’ कहकर अपने प्राण त्याग दिए. पूरे गया जिले में कर्फ्यू लागू कर दिया गया. उनकी लाश को गायब करने की साजिश की गयी. अरवल-औरंगाबाद होते हुए डाल्टनगंज के जंगलों में इनकी लाश फेंकने के लिए ले जायी गयी. साढ़े सात बजे संध्या को रेडियो से प्रसारण होने वाले समाचार में इस खबर को छिपा लिया गया. परन्तु बी बी सी लन्दन ने पौने आठ बजे संध्या के समाचार में घोषणा किया कि बिहार लेनिन जगदेव प्रसाद की हत्या शांतिपूर्ण सत्याग्रह के दौरान कुर्था में पुलिस ने गोली मारकर कर दी. बी पी मंडल, राम लखन सिंह यादव, भोला प्रसाद सिंह और दरोगा प्रसाद राय ने बिहार के मुख्य मंत्री अब्दुल गफूर से मिलकर दवाब डाला कि जगदेव बाबू की लाश पटना में शीघ्र पहूँचायी जाए अन्यथा बिहार जल जाएगा. इस दवाब ने काम किया. जगदेव बाबू की लाश छह सितम्बर की सुबह पटना गयी गयी. विधायक क्लब पटना से सात सितम्बर को उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई जिसमें लाखों लोगों ने शिरकत की. उसी दिन शाम को पटना के गांधी मैदान में विशाल शोक सभा शोषित समाज दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष राम स्वरूप वर्मा, पूर्व वित्त मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार की अध्यक्षता में हुई जिसको लोकनायक जय प्रकाश नारायण, अर्जुन सिंह भदौरिया, सरला भदौरिया, कर्पूरी ठाकुर, महामाया प्रसाद सिन्हा, रामानंद तिवारी आदि ने संबोधित किया. जगदेव बाबू से सवर्ण समाज की घृणा अगले दिन जाहिर हुई जब ब्राह्मणवादी अखबार ‘आर्यावर्त’ ने समाचार छापा कि ‘स्वयंभू बिहार लेनिन मारे गए’…ऊंची जातियों के कई गांवों में उनके हत्या पर खुशी मनाई गयी, घी के दीये जलाये गए तथा मिठाईयां बांटी गयी’. स्मरणीय है कि जगदेव बाबू को बिहार लेनिन उपाधि हजारीबाग जिला में पेटरवार (तेनुघाट) में एक महती सभी में वहीं के लखन लाल महतो, मुखिया एवं किसान नेता ने अभिनन्दन करते हुए दी थी.—प्रस्तुति-मुनेश राम,पत्रकार
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