Wednesday, April 5th, 2017
बाबू जगजीवनराम: एक संस्मरण
कॅंवल भारती एक समय भारतीय राजनीति में दलित अस्मिता के स्तम्भ माने जाने वाले बाबू जगजीवन राम आज दलितों द्वारा लगभग भुला दिए गए हैं। इस विस्मृति के दो कारण मैं समझ पाया हूॅं, एक, डा. आंबेडकर के साथ उनकी गलत तुलना, और दो, उनका काॅंग्रेसी होना। हालांकि वह काॅंगे्रस के अध्यक्ष भी रहे थे और आपात काल में काॅंगे्रस छोड़कर उन्होंने अपनी अलग पार्टी (काॅंगे्रस फाॅर डेमाक्रेसी) भी बनाई थी, जनता पार्टी में भी रहे थे और बाद में देवराज अर्श की काॅंगे्रस में चले गए थे, पर इससेRead More