राष्ट्रपति चुनाव : जानिए वह पेंच जिसके कारण प्रचंड बहुमत के बाद भी भाजपा लगा रही है एड़ी चोटी का जोर
कार्यालय संवाददाता
नई दिल्ली. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद अब बीजेपी के सामने अगली चुनौती अपनी पसंद का राष्ट्रपति बनवाने की है. लेकिन लोकसभा और कई विधानसभाओं में प्रचंड बहुमत के बावजूद पार्टी के लिए राष्ट्रपति भवन में अपनी पसंद के उम्मीदवार को पहुंचाना आसान नहीं है. यही वजह है कि अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी इस काम के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. पार्टी के रणनीतिकारों को इस बात का अंदाजा है कि राष्ट्रपति चुनाव में एक-एक वोट कीमती होने जा रहा है. लिहाजा दो महीने बाद होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के लोकसभा से इस्तीफे नहीं करवाए गए हैं. इसी तरह मनोहर पर्रिकर की राज्यसभा सदस्यता भी फिलहाल बरकरार है. बीजेपी की नजर 9 अप्रैल को 12 विधानसभा और 3 लोकसभा सीटों के उप-चुनाव पर भी है. अमित शाह और उनकी टीम चाहेगी कि बीजेपी इनमें से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीती जाएं ताकि राष्ट्रपति चुनाव के लिए जरूरी वोटों के अंतर को कम किया जा सके.
शिवसेना बिगाड़ सकती है खेल
राष्ट्रपति चुनाव की रेस में बीजेपी की चिंता सिर्फ विपक्षी पार्टियों को लेकर नहीं है. पार्टी के लिए बगावती तेवर अपनाने वाली शिवसेना पर भरोसा करना कठिन है. शिवसेना कह चुकी है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनवाया जाना चाहिए. इतना ही नहीं, राष्ट्रपति चुनाव में विधायक और सांसद किसी व्हिप से नहीं बंधे होते. लिहाजा क्रॉस वोटिंग की आशंका हमेशा बनी रहती है. पार्टी की एक फिक्र उप-राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भी है. सहयोगी पार्टियां राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन के बदले उप-राष्ट्रपति पद के लिए मोलभाव कर सकती हैं. जाहिर है बीजेपी नहीं चाहेगी कि उसे उप-राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार को लेकर समझौता करना पड़े. इसके लिए जरूरी है कि वो अपने बलबूते राष्ट्रपति चुनाव जीत सके.
क्या कहता है अंक गणित?
-लोकसभा और राज्यसभा के कुल 776 सांसदों के अलावा विधानसभाओं के 4120 विधायक वोट डालेंगे.
-कुल 4896 लोग मिलकर नया राष्ट्रपति चुनेंगे.
-इन वोटों की कुल कीमत 10.98 लाख है
-बीजेपी को अपनी पसंद का राष्ट्रपति बनवाने के लिए 5.49 लाख कीमत के बराबर वोटों की दरकार होगी
-बीजेपी और सहयोगी पार्टियों के पास कुल 5.53 लाख है.
पेंच यहां है
-भाजपा के कुल वोटों में से करीब 20 हजार कीमत के वोट सहयोगी पार्टियों के हैं.
– जीत की गारंटी के लिए भाजपा को अब भी 16 हजार कीमत के वोट चाहिएं
योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य और पर्रिकर के इस्तीफे रुकवाकर बीजेपी ने 2100 वोटों की कमी पूरी कर ली है
– नौ अप्रैल को जिन सीटों पर उप-चुनाव हैं उनके वोटों की कुल कीमत करीब 4 हजार बैठती है
-यही वजह है कि इन चुनावों पर पार्टी का खास जोर है.
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