शराबबंदी के कारण बिहार के राजस्व को साढ़े तीन हजार करोड़ का घाटा
शराबबंदी को लेकर भाजपा ने नीतीश सरकार को घेरा
पटना. ए..भाजपा नेा कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह बताना चाहिए कि यदि शराबबंदी के बाद राज्य के राजस्व संग्रह में कमी नहीं आई तो फिर वाणिज्य कर विभाग अपने लक्ष्य से साढ़े तीन हजार करोड़ तथा निबंधन विभाग 700 करोड़ रुपये पीछे कैसे रह गया. भाजपा विधान मंडल दल के नेता एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां कहा कि जब शराबबंदी से हुई 10 हजार करोड़ की बचत से लोगों ने जमकर दूध, मिठाई, रसगुल्ला, रेडीमेड कपड़े और सिलाई मशीन सहित अन्य घरेलू सामानों की खरीददारी की तो फिर लक्ष्य पूरा क्यों नहीं हुआ। कपड़े, मिठाई एवं सभी प्रकार के वस्तुओं पर भारी कर लगाने और डीजल-पेट्रोल पर सरचार्ज लगाने के बावजूद कर वसूली का तय लक्ष्य कोसो दूर क्यों रहा. श्री मोदी ने कहा कि नोटबंदी के बावजूद यदि केन्द्र सरकार के राजस्व में वृद्धि हुई तो फिर बिहार में कर संग्रह का लक्ष्य क्यों नहीं पूरा हो सका. कर संग्रह में फिसड्डी रहने का ठीकरा नोटबंदी पर फोड़ने की बजाय राज्य सरकार बताये कि नोटबंदी के पहले क्या प्रत्येक तिमाही में वाणिज्य कर संग्रह में नकारात्मक वृद्धि दर्ज नहीं हो रही थी. उन्होंने कहा कि अंतिम तिमाही में बड़े पैमाने पर व्यापारियों पर दबाव डाल कर अग्रिम कर वसूलने के बावजूद लक्ष्य हासिल क्यों नहीं किया जा सका. पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या यह सच नहीं है कि राजस्व में कमी के कारण ही जहां सरकार को वर्ष 2016-17 में अनेक महत्वपूर्ण योजनाओं में कटौती करनी पड़ी वहीं राजस्व में भारी कमी के कारण बजट प्रावधान के बावजूद 16,797 करोड़ रुपये की व्यवस्था नहीं हो पाई. योजना राशि खर्च नहीं करने वालों में कृषि, पिछड़ा-अति पिछड़ा, ऊर्जा, स्वास्थ्य, पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास जैसे विभाग प्रमुख रहे.
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