पीएम मोदी के कैबिनेट में शामिल होना चाहते हैं जीतनराम मांझी!
बिहार कथा :नई दिल्ली. जैसे ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार की सुगबुग़ाहट शुरू हुई है, एनडीए के सहयोगियों में भी उम्मीदें परवान चढ़ने लगी हैं. कई सहयोगी दलों के कई नेताओं ने दिल्ली आकर हाजिरी लगाना भी शुरू कर दिया है. इस काम में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और एनडीए सहयोगी जीतन राम मांझी भी लगे हैं. दो दिन पहले एनडीए की बैठक में सबसे पहले पहुचने वाले मांझी ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से उनके घर पर मुलाक़ात की. ख़ुद को सबसे क़द्दावर दलित नेता मानने वाले मांझी ने अमित शाह से सिफ़ारिश की है कि जिस तरह बिहार से आने वाले दूसरे सहयोगियों राम विलास पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है, उसी तरह उनकी पार्टी को भी सम्मान दिया जाए. इशारा साफ़ था कि मांझी आने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में ख़ुद के लिए जगह तलाश रहे हैं और यही मंशा लिए वह भाजपा अध्यक्ष के दरवाज़े पर पहुंचे थे. शाह भी बात समझ गए और उन्होंने मांझी को दोबारा 5 मई को मिलने बुलाया. दरअसल मनोहर पर्रिकर के गोवा जाने के बाद केंद्र में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों ने ज़ोर पकड़ा है. सम्भावना जताई जा रही है कि सरकार के तीन साल पूरा होने के बाद यानी 5 मई के बाद मोदी अपने कैबिनेट का विस्तार कर सकते हैं. इसमें मंत्रियों के तीन साल के कामकाज की समीक्षा के आधार पर विभागों में फेरबदल किए जा सकते हैं. साथ ही इस बार सहयोगी दल शिवसेना की निगाहें भी विस्तार पर लगी हैं, जिसमें पार्टी को एक और मंत्रिपद मिलने की सम्भावना है जिसकी एक वजह राष्ट्रपति चुनाव है जिसके लिए भाजपा को शिव सेना के साथ की ज़रूरत है. फ़लिहाल भाजपा और एनडीए दोनों में ही मंत्री पद के दावेदारों में अपना नाम आगे करने की होड़ लगी है और इसके लिए अमित शाह के दरबार में मत्था टेकने का सिलसिला शुरू है.
Related News
25 से 30 सांसदों की लालच में कांग्रेस ने लालू को अपना संगठन बेचा : प्रशांत किशोर
संवाददाता, मधुबनी : जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस और भाजपा पर निशाना साधाRead More
जाति आधारित गणना के गर्भ से निकली थी महागठबंधन सरकार
अब सर्वे रिपोर्ट बताएगी उसकी ताकत —- वीरेंद्र यादव, वरिष्ठ पत्रकार —- प्रदेश में जातिRead More
Comments are Closed