बिहार में बीजेपी ने कब्रिस्तान के तर्ज पर शमशान की घेराबंदी का मामला उठाया

संजय सरावगी। के लिए चित्र परिणामपटना. bihar katha बिहार विधानसभा में बीजेपी विधायक संजय सरावगी के कब्रिस्तान के तर्ज पर आबादी के अनुपात में श्मशान की घेराबंदी पर खर्च किए जाने का मामला उठाये जाने पर सत्तापक्ष और विपक्ष के आमने-सामने होने से शोरशराबे की स्थिति बनी रही। भोजनावकाश के बाद संजय द्वारा गैर सरकार मांग के तहत कब्रिस्तान की घेराबंदी के लिए राज्य सरकार द्वारा 700 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का मामला उठाते हुए आबादी के अनुपात के अनुसार श्मशानों की घेराबंदी पर कम से कम 2500 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की मांग की। इस पर सत्तापक्ष ने उन पर उत्तर प्रदेश में भारी जीत होने पर बिहार में ‘सांप्रदायिक अजेंडे’ को थोपने का आरोप लगाया। आसन पर विराजमान मोहम्मद इलियास हुसैन द्वारा संजय की मांग को निरस्त कर दिए जाने पर विपक्षी सदस्य सदन के बीच आकर रिपोटर्स के टेबिल को धक्का दिया और सरकार विरोधी नारेबाजी शुरू कर दी। आसन द्वारा बीजेपी सदस्यों को शांत करने के प्रयास के बीच सत्ताधारी जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस सदस्य खड़े होकर संजय के गलत व्यवहार के कारण उनके खिलाफ कड़ी की मांग करने लगे।
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बीजेपी सदस्यों से कहा कि जब वे बिहार में सत्ता में थे तो उन्होंने श्मशान की घेराबंदी क्यों नहीं कराई। उन्होंने बीजेपी पर उत्तरप्रदेश में जीत दर्ज करने के बाद बिहार में ‘श्मशान-कब्रिस्तान’ के सांप्रदायिक अजेंडे को थोपने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि महागठबंधन उन्हें अपने इस नापाक इरादे में कामयाब नहीं होने देगा। तेजस्वी ने बीजेपी को प्रदेश में ‘गुंडागर्दी’ की अनुमति नहीं दिए जाने की चेतावनी देते हुए कहा कि हम बिहार में सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारा को सुनिश्चित करेंगे। उपमुख्यमंत्री की इस टिप्पणी से गुस्साये प्रतिपक्ष के नेता प्रेम कुमार ने आरजेडी पर अपने 15 सालों के कार्यकाल के दौरान चारा घोटाला सहित भ्रष्टाचार और अन्य घोटाले को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए आरजेडी के नेताओं को बीजेपी को कुछ भी देने का अधिकार नहीं है। प्रतिपक्ष के नेता के हमले का प्रतिकार करते हुए तेजस्वी ने कहा कि वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है और इसने साबित कर दिया है कि प्रदेश की जनता का इस दल और उसके नेतृत्व में विश्वास है। 35 मिनट तक चले इस शोराबे के बाद आसन द्वारा दोनों पक्षों को समझाकर सदन में शांति बहाल की गई जिसके बाद बिहार विधान सभा की कार्यवाही सुचारु रूप से चली।






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