पढ़िए एक एंटी रोमियों स्कवायड से पीड़ित प्रेमिका का लव लेटर ठेठ भोजपुरिया हिंदी में
डियर जी,
अब क्या कहें कि का?
बस इतना बूझिये कि आपकी दूर्दशा देख के मेरा करेजा मुचुक गया है। जब से घर आये हैं मन करता है कि अपने छाती में मुक्का मार मार के परान तेज दें। तभिये से सोच रहे हैं कि कहाँ से कहाँ आपको लोहिया पार्क में बुलाये, जब मिलना ही था तो किसी मकई के खेत के डराण पर बैठ के होरहा चबाते हुए भी दुःख सुख बतिया लेते। अगर हम लोहिया पार्क में नही गये होते तो जोगी का पुलिस आपका बोकला नही झारता।
बताइये तो, कहीं एतना अनेत होता है? अभी तो आपने “आई लभ यु” में का खाली “आई” बोला था कि पुलिस आ गया, और फिर आपका बाई बोल गया। आपको तो अपने थुथुर का भाव नही दिखा होगा, बाकिर हमने देखा कि आपका जवन मुह हम को देख कर मोदी हुआ था उ पुलिस को देखते ही मायावती हो गया। मुझे आपको देख कर इतना मोह लगा कि का कहें, बाकिर मुझे लगता है कि आप जब पुलिस को देखते ही भागने लगे वहीं बेजांय हो गया। आप जब भाग रहे थे तो लगता था कि कुकुर के डर से बिलाई भाग रही हो। बाकिर जदि आप भागे नही होते तो आपका अइसा कुटान नही हुआ होता।
का कहें ए डार्लिंग, जब एंटी रोमियो वाला सिपाही जी आपका बोकउर झार रहा था तो हमको अइसा बुझा रहा था कि लाठी आपके पाकिस्तान पर नहीं बल्कि हमारे दिल पर गिर रहा है। बुझ जाइये कि हमारे दिल का चटनी पिसा गया है। मन करता था कि सिपाही का मूड़ी ममोर के चूल्हे में जोर दें, लेकिन का करें मजबूर थे। पता नहीं मुहझौंसा किस कॉलेज में थुरने का कोर्स किया था कि आपको इतना सफाई से थूर रहा था। आप तो दुःख से बेहाल थे, बाकिर हम धेयान से देखे थे कि सिपहिया का हर लाठी आपके बाएं पाकिस्तान पर ही गिर रहा था। हरामखोर जरूर दक्षिणपंथी होगा, तभी बामपंथ पर लाठी गिरा रहा था।
बाकिर जो भी हो पर एगो बात मानना ही पड़ेगा ही आप कलाकार आदमी हैं। जब आप पुलिस का लाठी खा कर कुदुक रहे थे तो लगता था जैसे बिपुल नायक “पिया मेंहदी लिया द मोतीझील से” गाना पर डांस कर रहे हों। और जब पूरी तरह कुटा जाने के बाद आपने सिपहिया से गिड़गिड़ा कर कहा कि “हे फट्ठाधारी! हे प्रणयारी! हे कटि-कुटक! हे कुविचारी!
लो चार सहस्त्र मुद्राएं लो और निज गृह जा आनंद करो,
पर पुष्ट पुष्ट पुट्ठे पाकिस्तां पर प्रहार तो बन्द करो!”
तो आपकी काव्य शक्ति देख कर मन किया कि आपको जोर से आई लभ यु कह दें। बाकिर क्या करती, तब तो आपका “लभ” कहीं और निकल गया था, “आई” कहीं और देख रहा था, और “यु” तो कब का यू टर्न मार गया था।
ओही बेरा से जोगिया को सराप रहे हैं कि हे कामदेव! इस जोगिया का अगिले जनम में बियाह मत हो। पुरे राज्य भर के प्रेमियों का लभ तुर देने वाले इस लभ-तोड़ मुख्यमंत्री का कबो भला न बीते।
अच्छा छोड़िये ई कुल्ह। जहां जहां ज्यादा दुखा रहा है वहां ठीक से हरदी-चुना छाप लीजियेगा। आ कमर में तनी करुआ तेल में लहसुन पका के मलवा लीजियेगा। और ज्यादा चिंता मत करियेगा, गाय कौन जे खाये ना? बाभन कौन जे नहाये ना? भौजाई कौन जे गरियाये ना? नेता कौन जे चोराये ना? और प्रेमी कवन जे कुटाये ना। और एक चीज का भरोसा रखियेगा कि भले पुलिस मार के आपका गतर तुर दे, बाकिर हमरा परेम नही टूटेगा। हम अभियो आपही से परेम करते हैं।
ढेर का लिखें, अगिला बेर मिलना होगा तो झारखण्ड में मिलेंगे। ई यूपी का धरती प्रेम के लिए हराम है।
अच्छा बाय।
आपकी
आरती कुमारी उर्फ़ अरतिया
—
-फेसबुक पर एक मित्र के वाल से साभार
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