गोपालगंज : मुस्लिम महिलाएं 12 साल से कर रही हैं छठ पूजा
थावे/गोपालगंज. बिहार के गोपालगंज जिले के चनावे गांव में शाहजहां और नेशा खातून करीब 12 वर्षों से लोकआस्था के महापर्व छठ का व्रत रखकर कौमी एकता की अनूठी मिसाल पेश कर रही हैं। थावे प्रखंड का यह गांव दोनों समुदाय के लोगों में आपसी प्रेम- भाईचारा बनाए रखने का संदेश दे रहा है।
इस गांव में रहनेवाले करीब 20 परिवार अल्पसंख्यक ऐसे हैं, जो छठ का पर्व पूरी निष्ठा और पाकीजगी के साथ करते हैं। भले ही छठ का नहा – खा शुक्रवार को है, लेकिन एक दिन पहले से ही यह परिवार अपने घर- दुआर की सफाई कर चुका है। साथ ही, हिन्दू भाइयों के साथ ये लोग छठ घाट पर छठी मइया की सिरसोपता को भी साफ और रंग- रोगन में करने में जुटे हुए थे। इस गांव के रहनेवाले हसमुद्दीन का कहना है कि उनकी पत्नी दो साल से छठ करती हैं। उनको चार बेटियां ही थीं। लेकिन, जब उनलोगों की मन्नत मांगी तो बेटा पैदा हुआ। अब उनका बेटा अरमान घर में चलने- फिरने लगा है। घर में हंसी – खुशी आ गई है। इसलिए पत्नी नेशा खातून छठ का व्रत रखती हैं। नेशां का कहना है कि उनके लिए तो अल्लाह और ईश्वर में कोई अंतर नहीं है। सभी तो एक ही हैं। हमारे घर में बेटा छठ मइया की कृपा से आया तो व्रत करने में क्या है।
सभी लोग गांव के सहयोग करते हैं। वहीं, गांव के पूरब टोले में रहनेवाले राजा हुसैन के परिवार में भी बेटा नहीं था। जब उन्होंने मन्नत मांगी तो बेटा पत्नी शाहजहां ने बेटे को जन्म दिया। अपने घर के पास के ताजिए की ओर इशारा करते हुए शाहजहां कहती हैं- इस गांव में कोई फर्क नहीं है। ताजिया हर घर तक जाता है। सभी खुदा को प्रेम से याद करते हैं, उसी तरह वे भी छठ भी करती हैं। छठ को लेकर घर की सफाई हो गई है। छठ के सामान की खरीदारी भी हो रही है। कोसी भरा जाएगा और सूर्य देव को अर्घ्य भी दिया जाता है। इस गांव में कोई विभेद नहीं है। इस गांव के लोग मजहबी फसाद पैदा करनेवालों के लिए शांति और अमन का संदेश हर साल देते है।
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