बिहार : सेनारी जनसंहार के 10 दोषियों को फांसी की सजा

जहानाबाद. biharkatha.com बिहार के जहानाबाद जिले के सेनारी गांव में एक साथ 34 लोगों की हत्या के मामले में मंगलवार को जहानाबाद की एक अदालत ने 10 लोगों की फांसी और तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। उम्रकैद की सजा पाए तीन दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जहानाबाद के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (तृतीय) रंजीत कुमार सिंह की अदालत ने 27 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई के बाद 15 लोगों को दोषी करार दिया था और 23 लोगों को बरी कर दिया था। अदालत दो दोषियों को बाद में सजा सुनाएगी।
इन्हें सुनायी गई फांसी की सजा
बुटाई यादव, गोपाल साव, गोराई पासवान, ललन पासी, सत्येन्द्र दास, करिमन पासवान, उमा पासवान, बचेश सिंह, बुधन यादव, द्वारिक पासवान
इन्हें मिली आजीवन कारावास की सजा
विनय पासवान, अरविंद यादव, मुंगेश्वर यादव
ये हैं फरार
व्यास यादव, गनौरी मांझी
सुबह से ही था गहमागहमी का माहौल
मंगलवार को सेनारी नरसंहार पर सजा सुनाई जाने से पहले ही अदालत के बाहर गहमागहमी का माहौल था। जहानाबाद बार एसोसिएशन में भी वकीलों के बीच इसी की चर्चा हो रही थी। सभी चौक-चौराहों पर फैसले का ही इंतजार हो रहा था। कोर्ट में पक्ष-विपक्ष के लोग मौजूद थे।
हथियारबंद एमसीसी ने 34 लोगों की गला रेत कर की थी हत्या
18 मार्च 1999 को अरवल जिले के सेनारी गांव पर हमला कर एमसीसी के हथियारबंद लोगों ने 34 सवर्णों की गला रेतकर हत्या की गई थी। गांव स्थित ठाकुरबाड़ी के समीप नक्सलियों ने घटना को अंजाम दिया था। इस घटना में सात लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। गांव की ही चिंतामणि देवी ने करपी थाने में 15 नामजद समेत चार-पांच सौ अज्ञात हमलावरों पर एफआईआर कराई थी।
आज भी घटना को सोच कर सिहर जाते हैं लोग
सेनारी गांव की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। 34 लोगों की हत्या की घटना को सोचकर आज भी लोग सिहर जाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इस घटना में जिन लोगों की जान बची वह आज भी सहमे रहते हैं।
88 लोगों के खिलाफ हुई थी चार्जशीट
नरसंहार के मामले में पुलिस के द्वारा अलग-अलग तिथियों में चार आरोप पत्र दाखिल किया था। इनमें 88 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। पहला आरोप पत्र 16 जून 1999 को दाखिल किया गया था। इसमें से 37 गिरफ्तार आरोपितों तथा 14 फरार आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र पुलिस के द्वारा दायर किया गया था। दूसरा आरोप पत्र 27 अक्टूबर 1999 को दाखिल किया गया था। तीसरा आरोप पत्र 20 फरवरी 2000 को दाखिल किया गया था। इसमें 17 गिरफ्तार आरोपितों एवं 18 फरार लोगों के खिलाफ आरोप पत्र समर्पित किया गया था।
लगभग 17 वर्ष पहले 18 मार्च, 1999 को तत्कालीन जहानाबाद जिले (वर्तमान के अरवल जिले) के करपी थाना क्षेत्र के सेनारी गांव में धावा बोलकर एक जाति विशेष के 34 लोगों को एक स्थान पर ले जाकर गर्दन रेतकर हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) नक्सली संगठन पर लगा था। इस मामले में गांव की ही चिंता देवी के बयान पर गांव के 14 लोगों सहित 50 से अधिक लोगों को आरोपी बनाया गया था। चिंता देवी के पति और उसके पुत्र की भी इस घटना में हत्या कर दी गई थी। गौरतलब है कि चिंता देवी की मौत हो चुकी है। इस मामले की सुनवाई के दौरान 32 गवाहों ने अपनी गवाही दी।






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