हे मोदी जी! निजी संपत्ति गोपनीयता कानून को ख़त्म कीजिये , देश मुस्कुरा उठेगा

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हे मोदी जी! निजी संपत्ति गोपनीयता कानून को ख़त्म कीजिये , देश मुस्कुरा उठेगा

न्याय का शासन, न्याय पर आधारित अर्थव्यवस्था और कल्याणकारी राज सबको चाहिए लेकिन सरकार ऐसा नहीं चाहती। अगर ऐसा हो गया तो संपत्ति के मालिक और सम्पत्तिहीन में भला अंतर कैसे होगा ? फिर धन और धनधारी की क्या विसात ? कौन पूछेगा इन्हें ? समानता की बात कहने के लिए तो ठीक है लेकिन समानता लाना भला कौन चाहता ? क्या लोकतंत्र के चारो स्तम्भ से जुड़े धनधारी समानता चाहते है ? क्या सरकार वाकई में समानता पर आधारित समाज चाहती है ? इन तमाम सवालो के उत्तर ना में है। कोई नहीं चाहता की समाज में गरीबी और अमीरी की खाई कम हो। जिस दिन कमजोर होगी धनधारियो की राजनीति , सम्पती लुटेरो के खेल उसी दिन दलाल संस्कृति समाप्त हो जायेगी।
हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कहा जाता है कि वे संत प्रवृति के है और संपत्ति से उन्हें कोई लोभ ,मोह नहीं है। वे देश को शक्तिशाली बनाना चाहते है और आर्थिक रूप से मजबूत भी । देश के बहुत सारे लोग भी यही चाहते है। फिर दिक्कत क्या है ? सबसे बड़ी दिक्कत है देश में बिराजमान निजी सम्पाती गोपनीयता का कानून। अगर इस कानून को ख़त्म कर दिया जाय तो देश आर्थिक रूप से चंगा हो जाएगा। सम्पत्तिवान १२ लाख लोगो की संपत्ति से होने वाली आय से कोई २ लाख करोड़ की आय होगी। हमारा बजट तो महज २५ से ३० लाख करोड़ का ही बनता है वह भी घाटे का बजट। कर्ज पर आधारित बजट। देश में अमन चैन। लेकिन सरकार के लोग ऐसा नहीं चाहते। इसलिए देश को जरुरी है गरीबी रेखा की बजाय अमीरी रेखा बनाने की।
हमारे देश में निजी संपत्ति की गोपनीयता का कानून बना हुआ है। इस कानून के मुताविक देश के नागरिक जो केंद्र सरकार को अपना आयकर रिटर्न भरते है , उसके बारे में देश का कोई अन्य नागरिक न तो कोई जानकारी ले सकता है और न ही उसकी प्रतिलिपि प्राप्त कर सकता है। एक आजाद देश में ऐसा कला कानून। यह कानून देश के नागरिको के सम्मान ,देश की संपत्ति के स्वामित्व के अधिकार , गरिमा। स्वतन्त्रता और लोकतंत्र की पारदर्शिता के प्रावधानों के विपरीत है।

टिप्पणियाँ
Lily Gupta Lily
Lily Gupta Lily Not agreed at all shanti nahi barbadi …. Samazwad samntsahi or garibi ki jang ghar ke log jab paise noch lete hai to fir kya kahana … Any way i have a bitter experience of life money sicking money escaping money money money money
Akhilesh Akhil
Akhilesh Akhil jo ham chahte the wahi sawal aapne kiya . yah aapka sawaal nahi hai pahli najar me is desh ka har aadmi yahi puchhega . iska vistrit model hai aur har sawal kaa maakul jabab kaanuni aur maanviy bhi . yaad rakhiye yah desh sabhi nagriko ka hai aur deshऔर देखें
Lily Gupta Lily
Lily Gupta Lily Mai iss par kam suru kar chuki hun
Malum nahi hoga ya nahi magar desh ke yuvao ko father ka penssion ya apni ansstr property hi samjh aati hai rti ka istemal or lokaykt ka upyog upyogita ko jara dekhiye humn right commission
Ke pettions ko dekhiye suऔर देखें
Sanjay Swadesh
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Awadhesh Kumar Roy
Awadhesh Kumar Roy Highly logical, reasonable and rightful demand. More powerful than RTI. Deserves nationwide movement.
Shambhu Dutta Bhatt
Shambhu Dutta Bhatt अखिल जी सबसे पहले भ्रष्टाचार ,जो हमारे समाज मे भी घर कर गया ,जो क़ानूनों को भी ताक मे रखता है, देश मे लोक तंत्र के आप जैसे अपवादों को छोड़कर चारों स्तम्भ अनैतिक दौलत दौड़ मे मानवता भी भूल चुके है,ऐसी कई घटनाये ईसी आचरण मे दफ़्न है,यह सही है कि कुछ कऔर देखें
Akhilesh Akhil
Akhilesh Akhil mai sahmat hu. lekin yah kaam ho jaaye to bada badlav hoga sir .
Shambhu Dutta Bhatt
Shambhu Dutta Bhatt Akhilesh Akhil मुझे लगता है सरकार ईसी दिशा मे चल रही है,पर वोट व खोट की राजनिति ज़्यादा आतंरिक तबाही,व जड़ो को खोखला कर रही है,पूरे देश मे स्वस्थ लोकतंत्र मे आपकी अग्रणी भूमिका की अपेक्षा भी है sir
Akhilesh Akhil
Akhilesh Akhil ham apni pesha ke prati bhakti rakhte hai . adhiktar patrakar bhi vartmaan sarkaar ke saath hai . mera najariya ye hai ki har peshewar ko apna nishpaksh kaam karna chahiye . aaplog paarty ke aadmi ho sakte hai aur uska ijhaar bhi karte hai . ham log mऔर देखें





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