ध्वनि_प्रदूषण
from the facebook wall of Hussain Abbas
दील का ऑपरेशन हुवा है कोई फर्क नहीं पड़ता। आप का बच्चा बीमार है ,कोई फर्क नहीं पड़ता। आपको सुबह उठ कर ऑफिस जाना है ।कोई फर्क नहीं पड़ता। ओह्ह आप का लड़का पढाई कर रहा हैं? कोई फर्क नहीं पड़ता।पता है हमारे कुछ नवजवान भाई ऐसा क्यू सोंचते है। क्यूके मै भी उस समय 8वी और 9वी के क्लास मे ये सब नहीं पढ़ा था। आज जब ध्वनि प्रदूषण के बारे मे पढ़ता हूँ तो वो सब बुरी आदते छुट जाती है। काश हमारे भाई लोग भी इस बात को समझे। ढोल तासे से क्या फायेदा। डी जे से क्या फ़ायदा। मरीजों को सताने से क्या फ़ायदा। सीखना है तो लाठी और तलवारबाजी सीखो। कराटे सीखो और भी बहूत से कला हैं वो सीखो। सामान्य सामाजिक उत्सव जैसे शादी, पार्टी, पब, क्लब, डिस्क, आदि आवासीय इलाकों में शोर उत्पन्न करते हैं। ध्वनि प्रदूषण से संबंधित विषयों को पाठ्यपुस्तकों में जोड़ा जाये और विद्यालय में विभिन्न गतिविधियों जैसे लेक्चर, चर्चा आदि को आयोजित किया जा सकता है, ताकि नयी पीढ़ी अधिक जागरुक और जिम्मेदार नागरिक बन सके। यदि आवाज का स्तर 80 डीबी से 100 डीबी हो तो यह लोगों में अस्थायी या स्थायी बहरेपन का कारण बनता है।
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