कपड़े उतरवाए पर्स छीना, खाना-पानी मांगने पर करते थे डंडों से पिटाई

  • आपबीती: कपड़े उतरवाए पर्स छीना, खाना-पानी मांगने पर करते थे डंडों से पिटाई

    पटना dainik bhaskar.com . 20 अक्टूबर को पटना एयरपोर्ट से किडनैप किए गए दिल्ली के 2 कारोबारी भाइयों को पुलिस ने मंगलवार रात छुड़ा लिया। बुधवार को इन लोगों को पुलिस पटना लेकर आई। पांच किडनैपर पुलिस के हत्थे चढ गए हैं, जबकि मुख्य सरगना रंजीत डॉन सहित पांच भागने में सफल हो गए। किडनैपर्स के चंगुल से छूटने के बाद दोनों भाइयों ने अपनी आप बीती बताई। दोनों ने बताया कि किस तरह पांच दिन तक उनके साथ किडनैपर्स अमानवियता करते रहे। पढ़िए दोनोंं कारोबारी भाइयों सुरेश और कपिल शर्मा कीपूरी आपबीती…

 हम दोनों भाईयों की पिछले पांच दिनों में जितनी पिटाई हुई उतनी अपनी पूरी जिंदगी में हमने कभी नहीं खायी थी। हर बात पर हम दोनों की पिटाई की जाती थी। मारपीट भी एक दो डंडे नहीं बल्कि वे लोग तब तक हम लोगों की पिटाई किया करते थे जब तक हम दोनों भाई बेहोश होकर जमीन पर नहीं गिर जाएं। पानी और खाने के एक दाने तक को हम तरस गए। बड़ी मन्नत करने पर हम लोगों को दिनभर में एक-एक ग्लास पानी और थोड़ा सा फहरी(मुरमुरा) खाने को दिया करते थे।
ऐसे फंसाया जाल में
अपहरण गिरोह का सरगना रंजीत हम दोनों भाइयों से अक्टूबर के पहले सप्ताह में पहली बार मिला था। वो आइआइटी खड़गपुर में मार्बल की सप्लाई करने का प्रस्ताव लेकर हम लोगों के पास आया था। सौदा ठीक लगा, इसलिए हम दोनों ने भी हां कर दी। इसके बाद रंजीत लगातार फोन कर डायरेक्टर से मिलने के लिए दबाव बना रहा था। 19 को उसने कहा कि आप मिल लो नहीं तो यह ठेका किसी और को दे दिया जाएगा। कुछ देर में उसने हम दोनों को पटना आने के लिए हवाई जहाज का टिकट भी भेजवा दिया। तो फिर हम दोनों आ गए।
पटना आते ही आई मुसीबत
पटना एयरपोर्ट पर रंजीत हमारे पहुंचने (शाम सवा छह बजे) से पहले से खड़ा था। वो हम लोगों को लेकर एक भाड़े की गाड़ी से लेकर निकला। गाड़ी कुछ ही दूर आगे बढ़ी थी, इसमें दो अन्य लोग सवार हो गए। हमनें उससे पूछा ये कौन हैं। तो रंजीत ने कहा ये ही हम लोगों को डायरेक्टर से लाइनअप करायेंगे। गाड़ी तकरीबन दो तीन घंटे चलने के बाद जब जंगल की ओर मुड़ी तो हमने इसपर सवाल किया? इसपर रंजीत ने कहा कि हम लोग डायरेक्टर के घर पर चल रहे हैं। गाड़ी इसके बाद कुछ दूर और आगे बढ़ी थी कि चार पांच लोगों ने आकर गाड़ी को घेर लिया।
कपड़े उतरवा दिए पर्स छिन लिए
पहले से खड़े लोग हम दोनों को गाड़ी से उतार कर हम लोगों के साथ मारपीट करने लगे। उन लोगों ने हम दोनों के कपड़े उतरवा दिए। हम दोनों के पर्स भी छिन लिए गए। हमें गंदी गालियां देते हुए पैदल ही एक झोपड़ीनुमा घर में ले गए। यहां पहले से दो महिलाएं थी जिन्होंने, हमें एक ग्लास पानी दिया। हम दोनों ने जब और पानी मांगा तो रंजीत और उसके साथी हम लोगों के साथ मारपीट करने लगे।
रात के 12 बजे पिता जी को बताया पूरी बात
तकरीबन रात के 12 बज रहे होंगे। पिता जी ने हम लोग का हालचाल पूछने के लिए फोन किया। इसपर हम लोगों ने उन्हें पूरी बात बता दी। पास में खड़े अपराधियों ने हमसे फोन लेकर पहली बार पिता जी से 5 करोड़ रुपए की रंगदारी की मांग की। इसके बाद वे लोग हम लोगों की पिटाई करने लगे। ताकि हम लोगों के मार खाने का दर्द मेरे पिता जी की कानों तक पहुंच सके।
हथियारबंद अपराधी करते थे चौकसी
अगले दिन सुबह से हम लोग हथियारबंद कुख्यात अपराधियों की चौकसी में दिन रात गुजार रहे थे। ये लोग निरंतर नंबर बदल-बदल कर मेरे पिता से रंगदारी की मांग किया करते थे। जब भी ये लोगों से पिता जी को फोन करते, हम दोनों भाइयों की पिटाई किया करते थे। जब हम मार खाकर अधमरे हो जाते थे तब वे हम दोनों को पिता जी से बात करवाई जाती थी।इसी प्रकार ये लोग रंगदारी की रकम शीघ्र लेने के लिए पिता जी पर कई प्रकार से दबाव बनाते थे।
 शौच करने तक नहीं जाने देते थे
अपराधी हम लोग को शौच करने तक नहीं जाने देते थे। पेशाब करने जाने की अनुमति मांगने पर पैंट में भी पेशाब करने के लिए दबाव डालते थे। बार-बार पेशाब और शौच जाने की अनुमति नहीं मांगे इसलिए ये लोग हम लोगों को पानी और खाना नहीं दिया करते थे। हम लोग हल्ला नहीं करें या फिर चहलकदमी की सुगबुगहाट किसी को नहीं लग जाए इसके लिए वे हम लोगों को या तो मारकर या फिर इंजेक्शन देकर बेहोश किए रखते थे।
 हर दिन बदल देते थे ठीकाना
अपराधी हर दिन अपना ठीकाना बदल दिया करते थे। वे ऐसा पकड़े जाने के डर से किया करते थे। वो अक्सर कहा करते थे, पैसा नहीं मिलने पर हम लोग तुम दोनों की हत्या कर देंगे।
 जीने की उम्मीद छोड़ दिया था
हम दोनों भाईयों ने जीने की उम्मीद छोड़ दी थी। इसी बीच मंगलवार की रात में पहाड़ पर (जहां मंगलवार की सुबह में लेकर ये लोग आए थे) पुलिस हम लोगों को खोजते हुए पहुंच गई। जंगल में चहलकदमी से हम लोगों को इसकी भनक लग गई थी। पुलिस की भनक लगने पर अपराधी हम दोनों को मार देना चाहते थे। लेकिन इन्हें मौका नहीं मिला और हमने पुलिस को पास देख कर शोर मचाना शुरू कर दिया जिससे पुलिस ने हमें अपराधियों के चंगुल से मुक्त कराया।





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