हॉस्पीटल के बेड रहते हैं खाली और फर्श पर सोते हैं नवजात

VIDEO: हॉस्पीटल के बेड रहते हैं खाली और फर्श पर सोते हैं नवजातअमिताभ/ मनीष सहाय. मधेपुरा. अस्पतालों में बेड नहीं रहने की स्थिति में मरीजों को फर्श सुलाने की खबरें ही सामने आती हैं लेकिन जब पर्याप्त बेड हों और नवजात सहित जज्जा फर्श पर सोई हों तो क्या कहा जा सकता है। मधेपुरा में ऐसा भी पीएचसी है जहां वार्ड में बेड उपलब्ध रहने के बाद भी प्रसव के लिए आयी महिलाओं को नवजात के साथ फर्श पर सोना पड़ रहा है। पड़ताल के दौरान जब हिंदुस्तान टीम पीएचसी पहुंची तो टीम ने देखा कि पीएचसी के नये भवन में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में बोर्ड पर जो भी लिखा था यहां आने वाले मरीजों को नहीं मिल रही थी। भवन की पहली मंजिल पर बने हॉल में लगभग आधा दर्जन महिलाएं नवजात के साथ फर्श पर ही लेटी थी। हैरत की बात तो यह है कि रात में प्रसव के बाद इन महिलाओं को भर्ती तो किया गया, लेकिन इन्हें बेड नहीं दिया गया। हॉल में झिटकिया वार्ड 2 की सजराहा खातून, गौरीपुर वार्ड 8 की अफशाना खातून, लालपुर वार्ड 4 की रूबी देवी और सुखासन वार्ड 8 की कुंदन देवी अपने बच्चों के साथ हॉल में फर्श पर ही सो रही थी।

गंदगी ऐसी कि स्वस्थ व्यक्ति मरीज बन जाए : सीएचसी भवन से बाहर की साफ-सफाई से वहां बेहतर व्यवस्था का विश्वास जगता है, लेकिन अंदर की हालत ऐसी है कि स्वस्थ व्यक्ति भी यहां आने पर बीमार पड़ सकता है या फिर किसी गंभीर संक्रमण का शिकार हो सकता है। नये भवन में प्रवेश करते ही बरामदे के बाद बड़ा सा खुला हॉल है। इसी से बगल में प्रसव कक्ष भी बनाया गया है। लेकिन हॉल में पिछले एक सप्ताह पहले हुई बारिश का पानी जमा है। पिछले कई दिनों से पानी जमा रहने के कारण बदबू तो है ही, अनगिनत मच्छर भी पल रहे थे। इतना ही नहीं पहली मंजिल पर मरीजों के पीने के लिए लगाये गये स्वच्छ पेयजल नल के पास गंदगी के कारण बदबू फैलने से सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था।

.. तो डीएम की आंख में झोंक रहे धूल : स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए डीएम मो. सोहैल ने न सिर्फ अधिकारियों से लगातार अस्पतालों की जांच करायी, बल्कि नियमित मॉनिटरिंग के लिए व्हाट्स एप्प पर मेडिकल हॉस्पीटल नाम से ग्रुप भी बनाया। सदर अस्पताल के साथ-साथ सभी पीएचसी प्रबंधकों को सुबह 11 बजे तक इस बात की रिपोर्ट फोटो सहित भेजने को कहा गया था कि अस्पताल में बेड पर चादरें बिछीं हुई हैं और मरीजों को बढ़िया खाना भी मिल रहा है। लेकिन बुधवार को सिंहेश्वर सीएचसी की कुव्यवस्था ने रिपोर्ट की कलई खोल दी। जाहिर हो गया कि डीएम को भेजी जाने वाली रिपोर्ट सिर्फ उनके आंखों में धूल झोंकने का काम कर रही है। अस्पतालों की हकीकत लगभग वही है। सीएचसी के एक कमरे में चार बेड पर साफ चादरें बिछी थीं, कमरा बंद था। इसी तरह अधिकांश मरीजों को सुबह के नास्ते में सिर्फ ब्रेड और दूध दिया गया। अनुमान लगाया जा रहा है कि चादर बिछी बेडों और किसी एक मरीज को पूरा नास्ता देकर उसकी फोटो मेडिकल ग्रुप पर भेज दी जाती है। मजेदार बात है कि प्रबंधक संतोष कुमार ने भी वह फोटो टीम को दिखायी। with thankx from livehindustan.com






Related News

  • ‘जो शराब पीयेगा वो तो मरेगा ही, कोई नई बात नहीं है’
  • 25 साल की उम्र में 200 साल की अंग्रेजी हुकूमत को हिला देने वाले आदिवासी योद्धा थे बिरसा मुंडा
  • बुढ़ी काली मंदिर किशनगंज : कुंवारे लड़के-लड़की को करना होता है यहां ये काम
  • बिहार में जल्‍द शुरू होगा प्रोपर्टी सर्वे; एक-एक घर, मार्केट का बनेगा रिकार्ड
  • भारतीयता मनुष्‍य बनाने की है प्रक्रिया : प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल
  • गोपालगंज की हर पंचायत में जन सहयोग से पुस्कालय खोलने की प्रशासन की सकारात्मक पहल
  • अनुकंपा नौकरी में दूसरी पत्नी के बेटे को भी मिल सकती है नौकरी, लेकिन यह है शर्त
  • भादो बाद होगा बिहार में नगर निकाय चुनाव
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com