हाजीपुर सदर अस्पताल: डिप्टी सिविल सर्जन बोले, ‘रोगी को मरने के लिए रेफर करते हैं’
यूपी वर्मा कहते हैं कि अगर अस्पताल में दवा नहीं मौजूद होता है तो हम मरीजों के परिवार को बाहर से दवा लाने के लिए नहीं कहते हैं। इसके बदले हम पीएमसीएच रेफर कर देते हैं। चाहे वो हार्ट पेशेंट ही क्यों ना हो। ये निश्चित है कि वो रास्ते में मर जायेगा। इसके बावजूद हम रेफर कर देते हैं। स्टिंग ऑपरेशन के जरिए डॉक्टर साहब की हकीकत सामने आयी है। जिसमें वो खुद अस्पताल के अंदर फैली अव्यवस्था का जिक्र कर रहे हैं।
डायरिया से पीड़ित बच्ची की हुई मौत, जिसपर उठा सवाल
बताया जा रहा है कि देसरी ब्लॉक के पहाड़पुर से एक परिवार अपने तीन बच्चों को लेकर अस्पताल आया। तीनों डायरिया से पीड़ित थे। सदर अस्पताल में इलाज के बदले इन्हें पीएमसीएच रेफर कर दिया गया। जिसके बाद जैसे ही पीड़ित परिवार वहां से निकलने लगे, यहां से दलालों का खेल शुरू हुआ। सदर अस्पताल में मौजूद दलाल उन्हें दवा के दुकान पर ले गये। इसके बाद उन्हें ऐसी दवा खरीदवा दी, जिसकी जरूरत डायरिया के इलाज में नहीं थी। दलालों को दवा के दुकान से कमिशन मिलता है। इसकी वजह से वो परेशान मरीजों के परिवारवालों को पकड़ के ठगते हैं। सही वक्त पर इलाज नहीं मिलने और गलत दवा खाने की वजह से तीन में से एक बच्ची की मौत हो गयी।
डिप्टी सिविल सर्जन का गैरजिम्मेदाराना बयान
इस बात को लेकर जब मृतक बच्ची के परिजन डिप्टी सिविल सर्जन के पास पहुंचे तो उन्हें उल्टा सवाल किया कि दलालों के साथ जाने की क्या जरूरत थी। सदर अस्पताल के बाहर दलाल क्यों बैठे रहते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने इसका हल खोजने की बजाय ये कहा कि यहां सबसे बडी दलाल तो आशा कार्यकर्ता है। अगर अस्पताल में हार्ट पेशेंट भी आता है और दवा नहीं है तो मैं रेफर करूंगा ही…तब भी ये जानते हुए की रास्ते में उसकी मौत निश्चित होगी। फिर भी रेफर ही करूंगा।
हालांकि ऑन द कैमरा डिप्टी सिविल सर्जन हाजीरपुर सदर अस्पताल के प्रबंधन में किसी भी तरह की त्रुटी की बात नहीं स्वीकारते नजर आये। बताया जा रहा है कि डिप्टी सिविल सर्जन सदर अस्पताल में वक्त देने की बजाय अपने निजी क्लीनिक में ज्यादा वक्त देते हैं। बता दे कि पिछले तीन दिनों में वैशाली जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में डायरिया से तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग किसी तरह से असंवेदनहीन बना हुआ है, इसकी पुष्टि डिप्टी सिविल सर्जन के बयान से बता चल जाता है। with thanks http://hindi.eenaduindia.com/
बताया जा रहा है कि देसरी ब्लॉक के पहाड़पुर से एक परिवार अपने तीन बच्चों को लेकर अस्पताल आया। तीनों डायरिया से पीड़ित थे। सदर अस्पताल में इलाज के बदले इन्हें पीएमसीएच रेफर कर दिया गया। जिसके बाद जैसे ही पीड़ित परिवार वहां से निकलने लगे, यहां से दलालों का खेल शुरू हुआ। सदर अस्पताल में मौजूद दलाल उन्हें दवा के दुकान पर ले गये। इसके बाद उन्हें ऐसी दवा खरीदवा दी, जिसकी जरूरत डायरिया के इलाज में नहीं थी। दलालों को दवा के दुकान से कमिशन मिलता है। इसकी वजह से वो परेशान मरीजों के परिवारवालों को पकड़ के ठगते हैं। सही वक्त पर इलाज नहीं मिलने और गलत दवा खाने की वजह से तीन में से एक बच्ची की मौत हो गयी।
डिप्टी सिविल सर्जन का गैरजिम्मेदाराना बयान
इस बात को लेकर जब मृतक बच्ची के परिजन डिप्टी सिविल सर्जन के पास पहुंचे तो उन्हें उल्टा सवाल किया कि दलालों के साथ जाने की क्या जरूरत थी। सदर अस्पताल के बाहर दलाल क्यों बैठे रहते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने इसका हल खोजने की बजाय ये कहा कि यहां सबसे बडी दलाल तो आशा कार्यकर्ता है। अगर अस्पताल में हार्ट पेशेंट भी आता है और दवा नहीं है तो मैं रेफर करूंगा ही…तब भी ये जानते हुए की रास्ते में उसकी मौत निश्चित होगी। फिर भी रेफर ही करूंगा।
हालांकि ऑन द कैमरा डिप्टी सिविल सर्जन हाजीरपुर सदर अस्पताल के प्रबंधन में किसी भी तरह की त्रुटी की बात नहीं स्वीकारते नजर आये। बताया जा रहा है कि डिप्टी सिविल सर्जन सदर अस्पताल में वक्त देने की बजाय अपने निजी क्लीनिक में ज्यादा वक्त देते हैं। बता दे कि पिछले तीन दिनों में वैशाली जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में डायरिया से तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग किसी तरह से असंवेदनहीन बना हुआ है, इसकी पुष्टि डिप्टी सिविल सर्जन के बयान से बता चल जाता है। with thanks http://hindi.eenaduindia.com/
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