बिहार में एक ऐसा मजार, जहां ईमली के पड़े से जंजीरों में बांध कर रखे जाते हैं लोग
जमुई /पटना( biharkatha.com ). बिहार के जमुई जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमरथ मजार हिन्दु और मुस्लिम के आस्था का केन्द्र है। इस मजार पर हर समुदाय के लोग अपनी मुराद लेकर आते हैं तथा मन्नत पूरी होने पर बाबा के मजार पर चादर चढाते हैं। अमरथ मजार की सबसे अनुठी बात यह है कि यहां मानसिक रोगियों का इलाज होता है। दावा किया जाता है कि मानसिक रोगियों का इलाज किसी दवा से नहीं बल्कि सिर्फ दुआ से किया जाता है। मानसिक रोगियों को मजार पर चढा हुआ तेल व पानी के साथ ही मजार की मिट्टी लगाई जाती है।
गंभीर रूप से बीमार मानसिक रोगियों को यहां स्थित इमली के पेड़ से जंजीर में बांध कर रखा जाता है ताकि वे कहीं भाग न जाए। न चाहते हुए भी लोग यहां अपने परिजनों को जंजीरों में बांध छोड़ जाते हैं। परिजन भी न चाहकर इन्हें जंजीरों में बांधकर छोड़ जाते हैं। बाद में जब मानसिक हालत सुधरती है तो परिजन खुशी से इन इंसानों को अपने साथ वापस घर ले जाते हैं।
कई रोगियों के परिजन भी मजार के पास रहते हैं। मान्यता है कि यहां रहने वाले मानसिक रोगियों में जल्दी ही सुधार हो जाता है। साल भर मजार के पास दो चार मानसिक रोगी जंजीर से बंधे रहते हैं। कई के परिजन तो बाबा के भरोसे ही इन रोगियों को छोड़कर चले जाते हैं। मजार के मुजाबिर द्वारा इन रोगियों को इलाज के लिए तेल पानी के साथ ही खाना भी दिया जाता है।
कभी गाजी बाबा को दफनाया गया था यहां
पेयजल की किल्लत को देखते हुए अमरथ निवासी गाजी बाबा ने यहां तालाब खुदवाया। गाजी बाबा की मौत होने के बाद उन्हें यहीं पर दफनाया गया जो आज अमरथ मजार के रूप में है। यहां पहले मुजाबिर के रूप में मो. कुदरत अंसारी को प्रतिनियुक्त किया गया था। मुजाबिर रोगियों के द्वारा लाई गयी छोटी चादर को बिछाकर उस पर रोगी को बैठाया करता है और फिर गाजी बाबा से रोगी के दुख हरने की अपील की जाती है। सरसों का तेल और पानी मजार के पास रख दिया जाता है जिसे सुबह होने पर रोगी को दिया जाता है। रोगी इस पानी को पीता है और सरसों तेल को कान में डालता है जिससे धीरे-धीरे उसका रोग ठीक होता जाता है। गाजी बाबा के एक पुत्र सैयद नजामउद्दीन व पत्नी प्रवीण बानो का मजार गाजी बाबा के मजार से करीब 400 गज पूर्व की ओर सड़क के दक्षिण किनारे स्थित है। गाजी बाबा के मजार के उत्तर करीब 300 गज पर उनके दोस्त सिराजी बाबा जो जोगी बाबा के नाम से प्रसिद्ध है उनकी भी समाधि मौजूद है। वे गाजी बाबा के पास बराबर आकर बैठते थे। बहुत पहले यहां पर सैय्यद कमरूज्जमा रिजवी नामक एक बड़े पुलिस विभाग के अधिकारी शिकार खेलने के लिए आए थे। उन्होंने यहां पर स्थित इमली के पेड़ पर बैठे पक्षी पर दो गोलियां दागी जो विफल रही। तीसरी गोली पक्षी की ओर जाने की बजाय पीछे की ओर चली गयी। तभी उन्हें लगा कि जरूर यहां पर कोई अलौकिक शक्ति है। उन्होंने इस मजार पर उर्स मनाना शुरू करवाए। इसके अलावे प्रत्येक सोमवार, गुरूवार और शुक्रवार को भी विशेष कार्यक्रम होता है।
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