नहीं बिगडेगा आपका बच्‍चा, अगर ऐसी होगी प‍रवरिश‌‌‌‌‌‌‌‌…

नहीं बिगडेगा आपका बच्‍चा, अगर ऐसी होगी प‍रवरिश‌‌‌‌‌‌‌‌…

 शिखा शर्मा. हर माता-पिता का ये सपना होता है कि वह अपने बच्‍चों को अच्‍छी से अच्‍छी पर‍वरिश दें. इसका अर्थ केवल उन्‍हें अच्‍छा खाना-पीना या घर से ही नहीं है बल्कि इसमें बच्‍चों को तहजीब, संस्‍कार और बड़ों का आदर करना भी शामिल है. लेकिन कई बार अकसर माता-पिता बच्‍चों की जिद के आगे इतने कमजोर पड़ जाते हैं कि जाने अनजाने में वह ये समझ ही नहीं पाते कि वह अपने बच्‍चों की आदतें बिगाड़ रहे हैं. अगर आप चाहते हैं कि आपका बेटा या बेटी एक आदर्श बच्‍चे की तरह बनें, तो इन उपायों को जरूर अपनाएं. किसी गतिविधि से बच्‍चे का ध्‍यान हटाने की कोशिश करना उसे गुस्‍सैल बना सकता है. बेहतर होगा आप अपने बच्‍चे को शांति से अलग तरह की गतिविधियों को अपनाने की सलाह दें. कभी कभी, स्थान परिवर्तन से भी बच्‍चे में गुस्से के आवेश को रोका जा सकता है. जाने-अनजाने हम बच्चों की उपस्थिति में ही उनकी कमियों-खूबियों की तुलना करने लगते हैं. इससे बचना चाहिए. यह एक नकारात्मक तरीका है. ऐसा करने से बच्चे के मन में हीन भावना आती है. उसका मनोबल गिरता है.

कुछ बच्‍चे बेहद शरारती होते हैं और वे शरारतें करके अपनी ऊर्जा को खर्च करते हैं. अगर आपका बच्चा बहुत ज्यादा उछल-कूद करता है तो आप उसे क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन जैसी स्पोर्ट्स एक्टिविटीज के लिए प्रेरित करें. इससे उसे एक दिशा तो मिलेगी ही साथ ही अनुशासित भी होगा.
बच्चे को इतनी आज़ादी ज़रूर दें कि वह कम से कम अपने छोटे-छोटे फैसले खुद कर सके. इससे उसमें आत्मविश्वास आएगा. हां, आप उसे गाइड कर सकते हैं, पर अपने फैसले उस पर न थोपें. अगर वो गलती करेगा तो अपनी गलती से सीखेगा और तब उसका आप पर विश्वास भी बढ़ेगा.

यह जानना बेहद ज़रूरी है कि जब बच्चे गुस्सा करें, चीजें इधर-उधर फेंके, रूस जाएं, चीखें-चिल्लाएं, तो आपको उनके साथ किस तरह से पेश आना चाहिए. आपको चाहिए कि ऐसे वक्त में आप शांत रहें. अगर आप भी चीखेंगे-चिल्लाएंगे तो हालात और खराब हो जाएंगे.
हो सकता है कि आपका बच्‍चा वो सब बातें भूल जाए जो आपने उससे कही हों, लेकिन वह परिवार के रीति-रिवाजों को हमेशा याद रखेगा जैसे बुरा समय या फिर रात के समय खेले जाने वाले खेल, जो आप उनके साथ खेलते हों.
अपने बच्‍चों को आजादी दें. उन्‍हें यह तय करने दें कि वह आपके साथ 10-15 मिनट कब, कहां और कैसे बिताना चाहते हैं. उनके प्रति अपने प्‍यार को दर्शाने को ये बेहद अच्‍छा तरीका है.
अपने बच्‍चे के लिए उसका रोल मॉडल बनें. बच्‍चे अपने माता-पिता को देख-देखकर ही बढ़े होते हैं. बच्‍चों को हर बात पर टोकने की तुलना में सम्मान, आपका अच्छा व्यवहार ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है. with thanks from http://khabar.ndtv.com/






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