‘साहेब’ पर लालू का, अनंत पर छलक रहा नीतीश का प्रेम
पटना। महागठबंधन के अंदर बाहुबलियों को साथ लाने के लिए जद्दोजहद जारी है। इसमें शामिल दलों के नेताओं का बाहुबली प्रेम खुलकर उजागर होने लगा है। प्रदेश सरकार के कथनी और करनी में साफ फर्क देखा जा रहा है। एक ओर, सरकार के मुखिया बाहुबलियों की जमानत के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हैं, तो वहीं दूसरी ओर महागठबंधन के कद्दावर नेता बाहूबलियों को समर्थन देने के लिए वकील मुहैया कराते हैं। महागठबंधन के अहम सहयोगी और प्रदेश सरकार के सबसे बड़े दल (राजद) के मुखिया लालू प्रसाद यादव अपनी पार्टी के पूर्व सांसद व बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के मसले पर सरकार के साथ खड़े नहीं दिखते हैं। शहाबुद्दीन जेल से फिलहाल बाहर हैं। लिहाजा, उनकी मदद के लिए अपने सांसद और वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी को सर्वोच्च न्यायालय में सरकार के खिलाफ पैरवी के लिए लगाया है।
26 सितंबर को होनी है सुनवाई
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को होनी है। कोर्ट ने शहाबुद्दीन के मामले की सुनवाई करते हुए अगले सोमवार तक जवाब देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने उनसे पूछा है कि क्यों न हाईकोर्ट से उन्हें मिली जमानत रद्द कर दी जाये? उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने इस आशय का नोटिस शहाबुद्दीन को भेजने का आदेश भी दिया है। अदालत से शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने की अपील की गई थी। अदालत ने दोनों ही याचिकाओं को एक माना और सुनवाई की।
इस मामले में रिहा हुए हैं शहाबुद्दीन
गौरतलब है कि सीवान के चर्चित तेजाब कांड में मो. शहाबुद्दीन को पटना हाईकोर्ट से जमानत मिली हुई है। इसके खिलाफ पीड़ित पक्ष के साथ-साथ बिहार सरकार की ओर से भी सर्वोच्च न्यायालय(सुप्रीम कोर्ट) में शहाबुद्दीन की जमानत याचिका को खारिज कराने के लिए आवेदन दिया गया है। पूरा सरकारी कुनबा इस कोशिश में लगा है कि किसी तरह से शहाबुद्दीन की जमानत को खारिज कराया जाये।
जदयू का ‘अनंत’ प्रेम
इधर, जदयू से सरोकार रखने वाले मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह के प्रति भी जदयू का प्रेम छलकने लगा है। अनंत सिंह ने भी चुनाव जीतने के बाद यह साफ कह दिया था कि उनके नेता नीतीश कुमार हैं। अनंत सिंह को जेल से बाहर लाने के लिए पैरवी जदयू के विधान पार्षद और पूर्व मंत्री पीके शाही कर रहे हैं। शाही की मदद से अनंत सिंह को अधिकतर मामलों में जमानत मिल चुकी है। ऐसा माना जा रहा है कि राजद के बड़े नेता के दवाब मेंं सरकार अनंत सिंह पर लचीला रुख नहीं अपना पा रही है।
हालांकि, फिलहाल सरकार की ओर से अनंत सिंह के खिलाफ सीसीए का प्रस्ताव और दो मामलों में जमानत कैंसिल कराने के लिए आवेदन दिया गया है।
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