बाल काटने वाले ठाकुर के बनाए घोसलें में रहती हैं गैरैया रानी!
बिहार कथा न्यूज नेटवर्क
बड़हरिया (गोपालगंज)। बहुत कम लोगों को यह याद होगा कि बिहार सरकार ने गौरैया को राज्य पक्षी का दर्जा दिया है। लेकिन सरकार की ओर से विलुप्त होती इस गैरैया रानी को संरक्षित करने के लिए कोई भी ठोस योजना या अभियान जमीन पर नहीं दिखती है। लेकिन गोपालगंज के बड़हरिया में एक शख्स ऐसा भी है तो गैरैयों को संरक्षित करने के लिए ऐसा जतन कर रहा है जो एक मिशाल है। इस कर्मयोगी को न सरकार से किसी प्रकार की मदद की उम्मीद है व न समाज से पहचान की इच्छा। वह तो जो कुछ भी कर रहा है स्वत: सुखाय. वह अपनी संवेदना को महज अभिव्यक्ति दे रहा है। कैलखुर्द के नथुनी ठाकुर ने ज्ञानी मोड़ स्थित अपने हेयर कटिंग सैलून के बरामदे में करीब 60 घोसले बना रखे हैं, जहां सैकड़ों की संख्या में गौरेया ने अपना बसेरा बना रखा है। ये घोंसले उन्होंने दवा व कपड़ों के डिब्बों से बनाये हैं।
श्री ठाकुर ने पहले एक घोंसला टांगा था, लेकिन गौरेया ज्यादा आ गयीं व आपस में रहने के लिए झगड़ने लगीं। उसके बाद श्री ठाकुर ने घोंसलों की संख्या बढ़ानी शुरू कर दी। आज करीब 60 घोंसले आबाद हैं। श्री ठाकुर ने आज से डेढ़ दशक पूर्व गौरेया के संरक्षण व संवर्धन का काम शुरू किया था। जब उन्होंने देखा कि उनके घर के आंगन में फुदक-फुदक कर दाना चुगने वाली गौरेया ने आंगन में उतरना कम कर दिया।
इस पर श्री ठाकुर की चिंता बढ़ गयी व वे उसी वक्त से अपनी मुहिम में जुट गये। आज पूरा बरामदा गौरयों की चहचहाहट से गुंजायमान है। श्री ठाकुर के इस काम की सराहना पूरे क्षेत्र में हो रही है। आज वे समाज के लिए आदर्श बन चुके हैं। उनके बेटे अशोक ठाकुर भी इस दायित्व को बखूबी निभा रहे हैं। श्री ठाकुर के पड़ोसी दुकानदार पूर्व सरपंच अखिलेश सिंह कहते हैं कि वे सुबह-सबेरे आकर पूरे बरामदे की सफाई करते हैं व कटोरियों का पानी बदलते हैं,दाना छिटते हैं। बहरहाल, सरकार की मुहिम से अनजान श्री ठाकुर गौरेयों को आश्रय व आहार देना अपना धर्म समझते हैं। इनपुट : प्रभात खबर
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