इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार की नमाज के बाद जाकिर नाइक और असदुद्दीन ओवैसी के समर्थन में प्रदर्शन किया. इस दौरान पटना युनिवर्सिटी से होते हुए प्रदर्शनकारी कारगिल चौक तक गये और इस दौरान केंद्रीय सरकार होश में आओ, पॉपुलर फ्रंट जिंदाबाद के नारे लगाये. लेकिन शाम होते-होते मीडिया के एक हिस्से ने पॉपुलर फ्रंट जिंदाबाद को पाकिस्तान जिंदाबाद कहके दुष्प्रचारित करना शुरू कर दिया. देखते ही देखते सोशल मीडिया पर यह वीडियो वॉयरल होने लगा. जिसमें पॉापुलर फ्रंट जिंदाबाद के नारे को पाकिस्तान जिंदाबद बताया जाने लगा.
इस वीडियो को गौर से सुनिये. याद रहे कि इसे सुनने के लिए मन मष्तिष्क को पूरी तरह से सचेत रखने की जरूरत है. इसमें भीड़ जो नारा लगा रही है उसे एक बार नहीं, बार बार सुनिये तब सारी बातें साफ हो जायेंगी. आप इस लिंक पर क्लिक कर वीडियो को सुन सकते हैं.
पत्रकारिता धर्म जब पत्रकारिता के अपने ही अलमबरदारों से जब शर्मशार होने लगे तो समाज का भाईचारा छिन्न-भिन्न तो होता ही है इसका कई बार विस्फोटक परिणाम भी सामने आने लगता है. लेकिन पटना की जनता और अमन पसंद लोगों ने घृणा फैला कर एक समुदाय के लोगों की देश के प्रति वफादारी के साथ जिस तरह धोखा किया है वह न सिर्फ पत्रकारिता बल्कि समाज के लिए अभिषाप है. हद तो तब हो गयी जब कुछ स्थानीय चैनलों द्वारा और सोशल मीडिया के लापरवाह लोगों द्वारा इस वीडियो के अर्थ को अनर्थ तो निकाला ही गया लेकिन शनिवार की सुबह कई बड़े और जिम्मेदार अखबारों ने भी इस झूठ को देश की जनता के सामने परोस दिया. बस तब क्या था उसके बाद साम्प्रदायिक और उन्मादी राजनीति करने वालों के बयान भी आने लगे.
अशांति और घृणा फैलाने का हो मुकदमा
मीडिया की भूमिका यथार्थ को सामने लाने की रही है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पत्रकारों का एक वर्ग और मीडिया घरानों का एक हिस्सा घृणा प्रसारित करने वाले माध्यम बन गये हैं. जिसका नतीजा यह सामने आने लगा है कि समाज में वैमन्सय, घृणा, साम्प्रदायिक तनाव अपने चरम पर है. जहां तक बिहार की धरती की बात है तो यहां की बहुसंख्य जनता अमन पसंद है और यही कारण है कि पटना में हुए इस प्रदर्शनकारियों के प्रति मीडिया के एक वर्ग द्वारा उगले गये जहर के बावजूद अमन कायम रहा.
मुस्लिम और दलित बनते हैं मीडिया के शिकार
बात सीधी सी है. भारत की धरती की एक एक संतान भारत से प्रेम करे, इसकी उम्मीद सभी को रहती है. अगर कोई भारत का नागरिक भारत की धरती से पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाये तो उसे किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिये. लेकिन अगर कोई पॉपुलर फ्रंट जिंदाबाद कहे और उसे विषैली मानसिकता के पत्रकार और मीडिया घराने पाकिस्तान जिंदाबाद बना के पेश करें तो उनके खिलाफ भी ऐसी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिये कि वो ताउम्र न भूल सके. सवाल यह है कि सामंतवादी, ष्ड्यंत्रकारी मीडिया के शिकार मुस्लिम और दलित ही बनते हैं.
अखबार ने इस्लामी झंडे को पाकिस्तानी झंडा बताया था
यहां बता दें कि कुछ महीने पहले एक बड़े अखबार ने राजस्थान में कुछ मुसलमानों द्वारा हरे रंग के इस्लामी झंडा फहराने को पाकिस्तानी झंडा फहराने की अफवाहबाजी की थी. लेकिन वहां के प्रशासन ने इस जहरीली मानसिकता को बेनकाब कर दिया था और तब उस अखबार को माफी मांगनी पड़ी थी.
बिहार सरकार और प्रशासन को इस मामले में चाहिए कि इस वीडियो फुटेज को बारीकी से देखे. और उन तमाम मीडिया घरानों पर समाज में द्वेष, घृणा फैलाने और शांति भंग करने का मामला दर्ज करे.
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