यहां जवान लड़कियां करती हैं नाग की पूजा, नहीं खाती नमक
भागलपुर (बिहार कथा)। मिथिला की संस्कृति में नवविवाहितों के लिए महत्वपूर्ण माना जाने वाला पर्व मधुश्रावणी रविवार से शुरू हो गया। सावन की पंचमी (नाग पंचमी) से शुरू हुआ यह पर्व पांच अगस्त तक चलेगा। पिछले साल के सावन के बाद जिन युवतियों का विवाह हुआ है, वे सभी युवतियां इस पूजा में शामिल होती हैं। खास बात यह है कि इस बीच ये युवतियां नाग देवता, विषहरी माता और शिव परिवार की विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। बिना नमक वाला भोजन करती हैं और जमीन पर ही सोना पड़ता है। बरारी की ममता ठाकुर और मानिक सरकार की कंचन कुमारी ने बताया कि मधुश्रावणी पूजा में नवविवाहिता ससुराल से आए सामान का ही उपयोग करती हैं। पूजन से लेकर खानपान तक की सामग्री ससुराल से ही आती है। नाग देवता की पूजा के लिए नवविवाहिता शाम के वक्त सखी-सहेलियों के संग फूल चुनती हैं और इन्हीं फूल से अगली सुबह पूजा-अर्चना की जाती है। व्रत रखकर पूजा करने के दौरान कथा के माध्यम से सफल दांपत्य जीवन की शिक्षा दी जाती है। शिव-पार्वती का प्रसंग भी सुनाया जाता है। इस पूजा के लिए शनिवार को ही पूजा वाले घरों में विषहरी माता के चित्र बनाए गए। पारंपरिक लोकगीत के बीच गौड़ी तैयार की गई और रविवार से पूजा शुरू की गई।
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