नीतीश के माइनस कांग्रेस गठबंधन पर पवार की ना
दो घंटे चली बैठक, कांग्रेस की बजाय भाजपा के खिलाफ केजरीवाल के साथ कदमताल करना चाहते हैं बिहार के सीएम, नई दिल्ली में जेटली से भी मिले नीतीश
विशेष संवाददाता. नई दिल्ली।
बिहार कथा. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दिल्ली दौरा तो औपचारिक रूप से तय था केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली से राज्य की अटकी पड़ी योजनाओं को गति के लिए बात-मुलाकात और संंबंधित बैठकों तक, लेकिन उनका ज्यादा वक्त बीता राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के साथ। अरुण जेटली के साथ संसदीय परिसर में बमुश्किल आधा घंटे की मुलाकात के बाद ही वे पटना के लिए निकल गए। पर उससे पहले वे देश की राजनीतिक नब्ज समझने वाले शरद पवार के साथ दो घंटे की लंबी वन-टू-वन बैठक की। जदयू के सूत्रों ने बताया कि नीतीश-पवार की मुलाकात मूल रूप से देशभर में भाजपा को टक्कर देने के लिए माइनस-कांग्रेस फेडरल पॉलिटिकल स्ट्रक्चर तैयार करने के संबंध में थी। इस पर शरद पवार का टका सा जवाब मिला- विदाउट कांग्रेस इट वोन्ट वर्क..। यानि किसी भी फेडरल स्ट्रक्चर की नींव बिना कांग्रेस देश के राजनीतिक फलक पर नहीं रखी जा सकती। दरअसल, नीतीश कुमार के साथ सबसे बड़ी समस्या है कि वे फेडरल स्ट्रक्चर में कांग्रेस की बजाय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को रखना चाहते हैं। अरविंद साथ हुए तो कांग्रेस साथ देने को तैयार नहंी। मामला यहीं अटक रहा है। लंबे समय से राष्टÑीय राजनीति से अलगथलग पड़े शरद पवार भी चाहते हैं कि फेडरल स्ट्रक्चर बने और उसमें उन्हें संयोजक की भूमिका मिले। देशभर के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से उनका सीधा संबंध रहा है। भाजपा के खिलाफ उनके धु्रवीकरण में वे मुख्य रणनीतिकार की भूमिका निभाना चाहते हैं। नीतीश कुमार की कोशिश है कि उप्र चुनाव से ही गैर भाजपा दलों को एकजुट किया जाए। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि फेडरल गठबंधन का नेता कौन होगा? जाहिर है कांग्रेस पार्टी भले ही बिहार में जदयू-राजद के साथ मिलकर सरकार चला रही है मगर राष्टÑीय स्तर पर भी नीतीश कुमार कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व बतौर क्यों स्वीकार करेगा? माना जा रहा है कि बातचीत की शुरूआत हुई है। कई चरणों में बात होगी फिर एक अंतिम रूप सामने आएगा। वह कब तक सामने आएगा, पंजाब चुनाव से पहले या उप्र चुनाव से पहले, इसका जवाब किसी के पास नल्हीं।
लालू की खामोशी पढ़ने की कोशिश
अलबत्ता, आश्चर्यजनक रूप से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की खामोशी को भी सियासी हलकों में पढ़ने की कोशिश चल रही है। वे किसी भी गंभीर विषय पर एकाध ट्विट कर भाजपा के खिलाफ बोलने की औपचारिकता पूरी कर रहे हैं। जिस आक्रामकता के साथ उन्होंने बिहार चुनाव जीतने के बाद ‘लालटेन’ लेकर बनारस कूच करने की घोषणा की थी धीरे-धीरे वह कुंद पड़ गई। इन दिनों भी वे दिल्ली में हैं। घिटोरनी स्थित अपने फार्म हाउस में आराम फरमा रहे हैं। किसी से मिलनेजुलने से परहेज कर रहे हैं।
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