Friday, June 10th, 2016

 

‘मेरिट’ का प्रश्न बनाम ‘थर्ड डिवीजन’ का जन्म

डॉ रतनलाल इस देश में जब-जब आरक्षण, हिस्सेदारी या वंचित जमात के समुचित प्रतिनिधित्व की बात आती है, तब-तब ‘मेरिट’ का हुडदंग खड़ा हो जाता है। इस विषय पर लगातार विद्वानों ने लिखा है, मीडिया में यह डिबेट का मुद्दा भी बना। लेकिन भारत में तथाकथित ‘मेरिटवादी’ इस मुद्दे को तर्क और इतिहास से ज्यादा आस्था से देखते हैं। ‘आस्था’ अर्थात् बुद्धि ताक पर रखकर बात करना। आइए जरा ‘मेरिट’ की अवधारणा को देखें। विज्ञान कहता है सबका ब्रेन एक समान होता है। फिर ऐसा क्यों है कि कुछ लोगRead More


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