पटना बना दुनिया का चौथा सबसे प्रदूषित शहर

patnaपटना : विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की रिपोर्ट पेश की है. लंदन स्थित अखबार गार्जियन के मुताबिक दुनिया के दस सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में पटना चौथे स्थान पर है.

गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में दस सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में छह भारत के शहर हैं. पहले स्थान पर ईरान का शहर जेबोल है. दूसरे स्थान पर मध्य प्रदेश का ग्वालियर है वहीं उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद तीसरे स्थान पर है. इस रैंकिग में पांचवे स्थान पर रायपुर , सातवें और आठवें स्थान पर चीन के दो शहर हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी रिपोर्ट में दिल्ली को नवां और पंजाब के लुधियाना को दसवां स्थान दिया गया है.

ग्राफिक अंग्रेजी अखबार गार्डियन से साभार

 इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए दुनिया के 67 देशों के 795 शहरों से डाटा इकट्ठा किया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय है. प्रदूषण से हृदय और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होती है.

डब्ल्यूएचओ ने भारत को सराहा
डब्ल्यूएचओ की स्वास्थ्य, पर्यावरण मामलों की निदेशक मारिया नीरा ने कहा कि भारत में प्रदूषण से निपटने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की है। इसमें स्मार्ट सिटी, सम-विषम, सीएनजी पर जोर जैसे दूरगामी और अस्थायी कदम शामिल हैं।

गरीब देशों पर ज्यादा मार
रिपोर्ट के मुताबिक, गरीब देशों के 98 फीसदी शहरों का वायु प्रदूषण के मामले में बुरा हाल है और वे पीएम 2.5 के मामले में डब्ल्यूएचओ के मानक से काफी नीचे हैं। हालांकि विकसित और विकासशील देशों के 44 फीसदी शहर इस पैमाने पर खरे उतरते हैं।

कैंसर और दिल की बीमारियों का कारण
हवा में घुले महीन कण पीएम 2.5 और पीएम 10 फेफड़ों के कैंसर, पक्षाघात, त्वचा के रोगों का कारण भी बनते हैं। साथ ही हार्ट अटैक की आशंका को भी बढ़ाते हैं।

क्या है पीएम 2.5 
ये हवा में फैले सूक्ष्म खतरनाक कण हैं जो हमारे फेफड़ों में भी प्रवेश कर जाते हैं। उन्हें 2.5 माइक्रोग्राम से छोटे इन कणों को पर्टिकुलेट मैटर 2.5 या पीएम 2.5 कहा जाता है। प्रत्येक क्यूबिक मीटर हवा में पीएम 2.5 कणों का स्तर जानकर प्रदूषण का आकलन किया जाता है।

‘संभव है कि ऐसे कई प्रदूषित शहर हों, जो हमारी सूची में नहीं हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन शहरों के पास प्रदूषण निगरानी का कोई पैमाना ही नहीं है।’- मारिया नीरा, जनस्वास्थ्य प्रमुख, डब्लयूएचओ

छोटे शहरों में भी खतरे की घंटी
74 छोटे शहरों में 41 प्रदूषित
लोकसभा के इसी सत्र में सरकार ने माना है कि महानगर ही देश के द्वितीय श्रेणी के शहर भी खतरनाक प्रदूषण की जद हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, द्वितीय श्रेणी के 74 शहरों में 41 भारी जल और वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं। इन शहरों में निकले 26.86 करोड़ लीटर सीवेज में 10 % का ही रोजाना शोधन हो पाता है। यूपी, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार, हिमाचल और पंजाब के शहर इसमें शामिल हैं।

स्मार्ट सिटी से सुधार होगा!
100 शहरों को स्मार्ट सिटी और 500 शहरों का पुनरुद्धार करने का लक्ष्य
20 शहरों का चुनाव हुआ स्मार्ट सिटी में, 78 और चुने जाएंगे भविष्य में
01 लाख करोड़ खर्च होंगे पांच साल में परिवहन, कचरा व जल प्रबंधन पर
7290 करोड़ रुपये 2016 में आवंटित, 2015 में 7016 करोड़ दिए गए

सरकार के प्रयास
01 अप्रैल 2020 से सभी शहरों के लिए बीएस-6 मानक अपनाएगा भारत
05 % एथेनाल ईंधन में मिलाना, सीएनजी, एलपीजी और बायो डीजल को बढ़ावा
स्मार्ट सिटी के तहत सीवेज प्रबंधन, भूजल स्रोतों के रिचार्ज पर भी ध्यान
ई-कचरा, प्लास्टिक, बायो मेडिकल और निर्माण से उत्पन्न कचरे के कड़े नियम
अप्रैल 2015 में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक जारी किया केंद्र सरकार ने

खतरा
70 लाख सालाना असमय मौतों का कारण वायु प्रदूषण
30 लाख इनमें से बाहर की जहरीली हवा से के कारण






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