छपरा : यहां बिकने के लिए खड़े रहते हैं मजदूर, लगती है बोली

majdoor in chhapra saranछपरा। वैसे तो देश में कई तरह के मेले लगते हैं। दुर्गा पूजा के उपलक्ष्य में मेले, शिवरात्रि के मेले, पशु मेले इत्यादि जैसे कई मेलों का नाम आपने सुना व देखा होगा। लेकिन, आप मजदूरों के मेले के बारे में शायद ही सुनें व देखे होंगे। जी हां, हमारे देश में ऐसा भी मेला लगता है और यह मेला लगता है बिहार के छपरा जिले में। शहर के चार जगहों पर मजदूरों का मेला लगता है। मेले में आधुनिकता के इस दौर में चकाचौंध से अलग इन मजदूरों की बोली लगाई जाती है। यहां इनका मोल-भाव होता है और फिर लोग इन्हें अपने साथ काम कराने के लिए ले जाते हैं।
सुबह सात बजे से लगभग एक हजार मजदूर बिकने के लिए खड़े हो जाते हैं, जिनके एक दिन के खरीदार आते है और अपने साथ ले जाते है। ये सारे मजदूर आज मजदूर दिवस के दिन भी दूर-दराज के गांव से साइकिल से सिर्फ इसलिए आए हैं की इन्हें मजदूरी मिलेगी तो इनके घर चूल्हा जलेगा। औसतन एक हजार मजदूर शहर के मौना चौक, कतेहरीबाग चौक, भगवान बाजार, लेबर चौक और गुदरी चौक के पास हर रोज इकठ्ठा होते हैं। जिन्हें काम मिलता है वे तो काम पर लग जाते हैं, लेकिन दुबले पतले और ज्यादा उम्र वाले मजदूरों को हर रोज काम नहीं मिलता। लिहाजा, वे अपनी किस्मत को कोसते वापस लौट जाते हैं।
यहां आने वाले मजदूरों को सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता। काम की तलाश में पहुंचे गरखा के जीतेन्द्र प्रसाद का कहना है कि मनरेगा के तहत काम नहीं मिलने के कारण ही हमें 15 किलोमीटर की दुरी तय कर यहां काम की तलाश में आना पड़ता है। http://hindi.eenaduindia.com/States/East/Bihar/2






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