चुनाव बिहार में, कमा रहे यूपी वाले

चुनाव बिहार में, कमा रहे यूपी वाले

राजीव. गड़खा (सारण), . भले ही इन्हें राजनीति का क,ख, ग….. भी पता नहीं है पर चुनाव के इस मौसम में ये रोज हजारों कमा रहे हैं। वो भी दूसरे प्रदेशों से आकर। जी हां! भले यह पढ़कर आपको अटपटा लग रहा हो लेकिन है सोलह आने सच। फटेहाली की जिंदगी जीने वाला रौशन इसका छोटा सा उदहारण है। वह यूपी के गोरखपुर का रहने वाला है। पिछले तीन महीने से बिहार में होने वाले पंचायत चुनाव का वह इंतजार कर रहा था। उसके मुताबिक वह वहां सब्जी बेचने का काम करता है, लेकिन जैसे ही बिहार में पंचायत चुनाव के तारीखों की घोषणा हुयी उसने दो महीनों के लिए अपना व्यवसाय बदलने की ठान ली। उसने 60 हजार रुपये पूंजी की जुगाड़ की और गोरखपुर स्थित एक प्रिंटिंग प्रेस से उन रुपयों से चुनाव प्रचार की सामग्री खरीद ली और 12 मार्च को बिहार के छपरा आ गया और पंचायत चुनाव के नामांकन के बाद प्रत्याशियों को सिम्बल मिलते ही जिले के सभी प्रखंड कार्यालयों के आसपास स्टॉल लगा चुनाव सामग्रियों की बिक्री में जुट गया।

विभिन्न जिलों में दो हजार से अधिक लोग बेच रहे सामग्री
गोरखपुर दुर्गाबाड़ी रोड के रामकेश गुप्ता, विष्णु जायसवाल, त्रिपुरेश जायसवाल, सिद्धान्त गुप्ता के मुताबिक वे लोग पिछले 14 मार्च से छपरा में हैं और इस कारोबार में जुटे हुये हैं। इनके अलावे बरेली, लखनऊ, बदायूं और कुछ दिल्ली के भी युवक बिहार के विभिन्न जिलों में चुनाव प्रचार की सामग्री बेंच रहे हैं। इनके कहे मुताबिक यदि अंदाजा लगाएं तो दो हजार से अधिक लोग फिलहाल बिहार के विभिन्न जिलों में अभी इस रोजगार में जुटे हैं।

एक व्यक्ति रोजाना पांच से सात हजार रूपये का कर रहा कारोबार
संतकबीर नगर जिले के राजेश गुप्ता की खुद की प्रिंटिंग प्रेस है। इनकी माने तो फ्लैग, बाइक फ्लैग, कार फ्लैग, स्टीकर व अन्य सामग्रियों को मिलाकर रोजाना पांच से सात हजार रूपये की बिक्री हो जाती है। अलग से आर्डर मिलने पर प्रचार वाला फोटो व सिम्बलयुक्त टी-शर्ट, कैलेंडर, बैनर, डायरी व चाभी रिंग भी सप्लाई की जाती है। आर्डर लेने के बाद छपरा में ही डिजाइन बनाने के बाद उ अपने यूपी स्थित प्रेस में ईमेल कर देते हैँ और अगले दिन प्रचार सामग्री ट्रेन से यहां पहुंच जाती है।

करोड़ों में होगा कारोबार
एक अनुमान के मुताबिक बिहार में पंचायत चुनाव के दौरान इन लोगों का कारोबार लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में होगा। एक प्रखंड में अमूमन पांच से सात व्यक्ति प्रचार सामग्री बेंच रहे हैं। एक प्रखंड में इनका कारोबार एक से डेढ़ लाख रुपये तक का हो रहा है। बिहार में कुल 534 प्रखंड हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार हो रहे पंचायत चुनाव में इनके कारोबार का दायरा कितना बड़ा है।

सबसे ज्यादा फ्लैग और स्टीकर की है बिक्री
चुनाव प्रचार की सामग्रियों में सबसे अधिक फ्लैग, स्टीकर और विजिटिंग कार्ड की बिक्री हो रही है। फ्लैग 25 रुपये प्रति पीस, स्टीकर 80 रुपये में सौ पीस, विजिटिंग कार्ड 40 रुपये में सौ पीस, टी शर्ट 16 हजार रुपये प्रति सौ पीस की दर से बिक रहे हैं। कैलेंडर, चाभी रिंग, फोटोयुक्त फ्लैग का रेट अलग-अलग है।

सभी राज्यों में घूम-घूम कर बेचते हैं चुनाव सामग्री
इनका कारोबार केवल बिहार तक ही सीमित नहीं है बल्कि भारत के विभिन्न राज्यों में चुनाव के दौरान ये प्रचार की सामग्री बेचने जाते हैं। बिहार के बाद इनकी नजर केरल, हिमाचल प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव पर है। इनका कहना है कि चुनाव के दौरान ये पूरे देश में घूम-घूम कर चुनाव की सामग्री बेचते हैं। from livehindustan.com






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