पुरानी तस्वीरों से बैंकफुट पर नीतीश
संघ मुक्त भारत का नारे देने वाले सुशासन बाबू संघ के कार्यक्रमों में जाते रहे हैं
पटना। संघमुक्त भारत की बात करने वाले नीतीश कुमार की एक पुरानी तस्वीर उन पर भारी पड़ गई है। एक ओर जहां नीतीश संघमुक्त भारत की बात कर रहे हैं, दूसरी तरफ खुद नीतीश कुमार संघ के कार्यक्रम में जाते रहे हैं। यह तस्वीर जरूर पुरानी है, लेकिन बीजेपी के लिए यह हथियार है। जिसके जरिए नीतीश पर वार कर रही है। नीतीश बीजेपी से अलग होने के बाद संघ पर लगातार हमला बोल रहे हैं। खुद को संघ का कट्टर विरोधी बता रहे हैं, लेकिन यह हकीकत नहीं है। नीतीश एनडीए से नाता तोड़ने के बाद संघ विरोधी हुए हैं। बिहार की सत्ता पर काबिज होने के बाद नीतीश संघ के कार्यक्रमों में जाते रहे हैं। तस्वीरें इस बात की सुबूत हैं कि नीतीश संघ के कार्यक्रम में गए थे। 13 मई, 2006 पटना में आयोजित कार्यक्रम में नीतीश ने शिरकत की थी। जिसमें तत्कालीन आरएसएस नेता राममाधव भी मौजदू थे। साथ तत्कालीन डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी थे। यह कार्यक्रम गुरु गोलवलकर की शताब्दी समारोह के अवसर पर आयोजित किया गया था। अब नीतीश कह रहे हैं कि वे आरएसएस की विचारधारा के शुरू से ही कट्टर विरोधी हैं।
महागठबंधन के अस्तित्व में आने के बाद नीतीश राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने की तैयारी में हैं। सेक्युलरिज्म के नारों के बाद नीतीश कुमार लगातार संघ पर हमले बोल रहे हैं। बदली परिस्थितियों में नीतीश ने भारत को संघ मुक्त बनाने का नारा देकर राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत पकड़ बनाने की चाल चली है। नीतीश के बयान और तस्वीरों के उजागर होने के बाद भाजपा नेता फ्रंट फुट पर हैं।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडे ने बातचीत में कहा कि नीतीश कुमार सुविधा की राजनीति करते हैं और सत्ता पाने के लिए यह किसी के साथ जा सकते हैं। जब भाजपा के साथ थे तो संघ के कार्यक्रम में हिस्सा लेते थे और अब लालू के साथ हैं तो संघ विरोधी होने का दिखावा कर रहे हैं। मंगल ने कहा कि क्योंकि महागठबंधन के अंदर बहुत विवाद है जिसके चलते नीतीश कुमार जनता का ध्यान भटकाने के लिए संघ मुक्त भारत का नारा दे रहे हैं।
कौन थे गुरु गोलवलकर
माधव सदाशिव गोलवलकर का जन्म 19 फरवरी, 1906 को हुआ था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार के प्रति सम्पूर्ण समर्पण भाव और प्रबल आत्म संयम होने की वजह से 1939 में माधव सदाशिव गोलवलकर को संघ का सरकार्यवाह नियुक्त किया गया। 30 जनवरी 1948 को गांधी हत्या के मिथ्या आरोप में 4 फरवरी को संघ पर प्रतिबन्ध लगाया गया। श्री गुरूजी को गिरफ्तार किया गया। देशभर में स्वयंसेवकों की गिरफ्तारियां हुईं। from eanaduindia.com
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